जीवात्मा पहुंचती है तब वो इस स्थूल चोले को उतार देती है और उस समय के लिए शरीर से आजाद और अलग हो जाती है । यह ठीक वैसे ही होता है जैसे हम अपना कोट उतार देते हैं । इस जीवात्मा के ऊपर चार खोल चढ़ें हुए हैं । सबसे मोटा खोल यह पांच तत्वों का शरीर है । इस खोल को उतारते ही जीवात्मा लिंग शरीर में आ जाती है । लिंग शरीर देवी देवताओं का होता है ज़ो स्वर्ग और बैकुण्ठ लोक में रहते हैं। आत्मा जब लिंग शरीर को उतार देती है तो सूक्ष्म शरीर धारण करती है ।
सूक्ष्म शरीर निरंजन भगवान, ईश्वर, खुदा या गाड का है | हैं एक ही मगर अलग-अलग नाम से पुकारे जाते हैं । उनका दर्शन करने के बाद जीवात्सा और ऊपर जाती है तो सूक्ष्म शरीर भी छोड़ कारण शरीर धारण करती है । कारण शरीर में ही और विद्यमान है ओर वे कारण शरीर में हैं - शब्द, स्पर्श, रूप रस और गन्ध । ब्रह्मा लोक से भी ऊपर जब जीवात्त जाती है तो वहां गुरु बैठे हुए हैं जो यहां नामदान देते हैं ।
जीवात्मा अब चारों शरीरों के खोल को उत्तार कर अपने वास्तविक रूप में आ जाती है । उस पर कोई पद नहीं रहता । वह स्वयं दूसरों को भोजन देने लगती है | उसमें इतना प्रकाश होता है कि उसके आंगे ईश्वर और ब्रह्म का प्रकाश फीका दिखाई देता है । यहां मानसरोवर है जिसमें स्नान करने के बाद जीवात्मा जन्म मरण के बन्धन में फिर नहीं आती |
Swami ji! When does the soul vacate this body through bhajan meditation?
When the soul reaches there, it takes off this physical garment and becomes free and separated from the body for that time. It is just like we take off our coat. This soul has four shells covered with it. The thickest shell is the body of the five elements. As soon as this shell is removed, the soul comes into the penis body. The penis body is of the gods and goddesses who live in heaven and heaven. When the soul sheds the phallic body, it assumes a subtle body.
The subtle body belongs to Niranjan Bhagwan, Ishwar, Khuda or Gad. They are the same but are called by different names. After seeing him, the soul goes higher and then leaves the subtle body and takes the physical body. The cause exists in the body itself and those causes are in the body - sound, touch, form, taste and smell. When a soul goes above Brahma Loka, there is a Guru sitting there who gives Namdaan here.
The soul now sheds the shells of the four bodies and comes back to its original form. There is no post on it. She herself starts giving food to others. There is so much light in it that the light of God and Brahma appears faint in front of it. There is Manasarovar here in which after taking bath the soul does not come back into the bondage of birth and death. |