आप कितने भी अच्छे कर्म कर लो, लेकिन समाज आपके बुरे कार्यों को ही सदैव याद रखता है।इसलिए लोग क्या कहेंगे यह सोचने से बेहतर है कि आप अपना कर्म करें।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उसी प्रकार निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए इस विषय पर शोक मनाना व्यर्थ है।
गीता में कहा गया है जो इंसान किसी की कमी को पूरी करता है वो सही अर्थों में महान होता है..!
तुम्हारे साथ जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वो भी अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा होगा।
गीता के अनुसार जिंदगी में हम कितने सही हैं और कितने गलत हैं यह केवल दो लोग जानते हैं एक परमात्मा और दूसरी हमारी अंतरात्मा..!
जीवन का आनंद ना तो भूतकाल में है और ना भविष्यकाल में। बल्कि जीवन तो बस वर्तमान को जीने में है।
जब तक शरीर है तब तक कमजोरियां तो रहेगी ही इसलिए कमजोरियों की चिंता छोड़ो और जो सही कर्म है उस पर अपना ध्यान लगाओ..!
अर्जुन तुम भला क्यों रोते हो? तुमने जो खोया, क्या वह तुमने पैदा किया था। आज जो तुम्हारा है वह कल किसी और का होगा। क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।
किसी का अच्छा ना कर सको तो बुरा भी मत करना क्योंकि दुनिया कमजोर है लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं..!
यदि कोई व्यक्ति विश्वास के साथ इच्छित वस्तु को लेकर नित्य चिंतन करता है, तो वह जो चाहे वह बन सकता है।
सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता उन्हें दूसरों के लिए भी प्रयोग ना करें..!
कोई भी व्यक्ति अपने विश्वास से बनता है। वह जैसा विश्वास करता है, उसी अनुरूप बन जाता है।
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
मेरे लिए समस्त प्राणी समान हैं। ना तो कोई मुझे अत्यधिक प्रिय है और ना ही कम। लेकिन जो मेरी भक्ति पूरे मन से करते हैं, मैं सदैव आवश्यकता पड़ने पर उनके काम आता हूं।
मन की शांति से बढ़कर इस संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है।
जो मनुष्य फल की इच्छा का त्याग करके केवल कर्म पर ध्यान देता है, वह अवश्य ही जीवन में सफल होता है।
कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।
अपना, पराया, छोटा, बड़ा, इत्यादि को भूलकर यह जानो कि यह सब तुम्हारा है और तुम प्रति एक के हो।
बिना फल की कामनाएं ही सच्चा कर्म है ईश्वर चरण में हो समर्पण वही केवल धर्म है।
जो व्यक्ति क्रोध करता है, उसके मन में भ्रम पैदा होता है, जिससे उसका बौद्धिक तर्क नष्ट हो जाता है। और तभी व्यक्ति का धीरे धीरे पतन होने लगता है।
गीता में लिखा है जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तब इंसान के बात करने का तरीका बदल जाता है।
इस सम्पूर्ण संसार में अपकीर्ति मृत्यु से भी अधिक खराब होती है।
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।
जीवन में सफलता का ताला दो चाबियों से खुलता है। एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ संकल्प।
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
कठिन परिश्रम से बचने के लिए व्यक्ति को भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों के बजाय चुनौतियों का सामना करना चाहिए।
गीता में कहा गया है कोई भी अपने कर्म से भाग नहीं सकता कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है।
मनुष्य को अपने कर्मों के अच्छे और बुरे फल के विषय में सदैव सोचकर चिंता ग्रस्त नहीं होना चाहिए।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।
जो मनुष्य प्रतिदिन खाने, सोने और आमोद प्रमोद के कार्यों में लिप्त रहता है। वह नियमित तौर पर योगाभ्यास करके समस्त क्लेशों से छुटकारा पा सकता है।
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।
श्रीमद भागवत गीता का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण करना है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सदैव मानव कल्याण की ओर अग्रसरित रहना चाहिए।
जब भ्रमित अर्जुन कुरुक्षेत्र में सलाह के लिए अपने सारथी भगवान कृष्ण के पास गए , तो भगवान कृष्ण ने कुछ तर्कसंगत दार्शनिक अवधारणाएं बताईं जो आज भी प्रासंगिक हैं।
भगवद गीता एक महाकाव्य ग्रंथ है जिसमें हमारी सभी समस्याओं का उत्तर है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई नेताओं के लिए प्रेरणा की पुस्तक थी। इन कुछ भगवद गीता संदेशों पर एक नज़र डालें जिनका उपयोग आप अपने जीवन को सही रास्ते पर वापस लाने के लिए कर सकते हैं।
जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा –भगवत गीता
माफ करना और शांत रहना सीखिए ऐसी ताकत बन जाओगे कि पहाड़ भी रास्ता देंगे।
व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में रखने के लिए बुद्धि और मन को नियंत्रित रखना होगा।
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता,ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।
किसी भी व्यक्ति को ना तो समय से पहले और ना ही भाग्य से अधिक कुछ मिलता है। लेकिन उसे सदैव पाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
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