भारत के सन्त महात्मा
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हिन्दू धर्म तथा अन्य भारतीय धर्मों में सन्त उस व्यक्ति को कहते हैं जो सत्य आचरण करता है तथा आत्मज्ञानी है, जैसे संत शिरोमणि गुरु रविदास , सन्त कबीरदास, संत तुलसी दास जी महाराज, बाबा जयगुरुदेव जी महाराज और अभी वक्त के सन्त सतगुरु परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज है।
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हमारा देश ऋषियों-मुनियों व संत महात्माओं का देश है भारत की पवित्र मात्रभूमि पर समय – समय पर संत महात्माओ व सिद्ध पुरुषों ने अवतरित होकर परोपकार हेतु जनकल्याण किया है जिन्होंने अपने तप ज्ञान से न केवल आध्यात्मिक शक्ति की ज्योति जलाई अपितु अपने श्रेष्ठ मर्यादित शील, आचरण, अहिंसा, सत्य, परोपकार, त्याग, ईश्वर भक्ति आदि के द्वारा समस्त मानव जाति के समक्ष जीवन जीने का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुुत किया। इसलिए संत महात्माओं की हर युग में पूजा होती रही है। साधु संतों की वाणी और उपदेशों का आज भी मानव जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है । समाज की इनके प्रति आज भी प्रगाढ़ आस्था बनी हुई है । समाज में जो भी नैतिकता शेष रह गई है वो इन संत महात्माओं के बदौलत ही है ।
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इन्हीं के बताए मार्ग पर चलकर, उसका आचरण करके भारत किसी समय ज्ञान-विज्ञान, भक्ति और समृद्धि के चरम शिखर तक पंहुचा था। इस देश में इतने ऋषि-मुनि और संत-महात्मा हुए हैं कि उनका नाम गिनाना संभव नहीं है। कौन कितना बड़ा और श्रेष्ठ था, इसका मूल्यांकन करना भी संभव नहीं है। साधु संतों की कोई जाति, वर्ग अथवा धर्म (सम्प्रदाय) नहीं होता है ।
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हमारा देश संतों महात्माओ का देश है, और हम संतो ऋषि यों की परंपरा के कारण ही आज हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचाए हुये है, इस संत परंपरा को हमें ख़तम नहीं होने देना है .राष्ट्र के विकास के लिए उच्च कोटि के संतों का होना बहूत जरूरी है । संत-महात्मा सदा ही समाज में ज्ञान का प्रचार कर मानव को सत्य व धर्म का मार्ग दिखाते हैं। सन्त-महात्मा हमारे से तभी प्रसन्न होते हैं, जब हमारा जीवन महान् पवित्र, निर्मल हो जाये और हमारा कल्याण हो जाय। कुछ चुने हुए ऋषियों-मुनियों और संत-महात्माओं के बारे में संक्षेप में वर्णन किया गया है, जिन्होंने समाज को एक नयी दिशा दी, उसका मार्गदर्शन किया जिसे पढ़कर पाठक उनका अर्थ समझकर लाभान्वित होंगे।
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