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हे शिव शंकर भक्ति की ज्योति लिरिक्स | He Shiv Shankar Bhakti Ki Jyoti Lyrics
हे शिव शंकर भक्ति की ज्योति अब तो जला दो मन में,
राग द्वेष से कलुषित ये मन उज्ज्वल हो पल छिन में…
तेरी डमरू से निकले है ओमकार स्वर प्रतिपल,
मै रम जाऊँ तुझमे भगवन तूँ रम जा नैनन में.
हे शिव शंकर….
भस्म रमाये तन पे तूँ क्यों इसका राज बतादो,
बीत गये कुछ अब न बीते बाकी क्षण बातन में,
हे शिव शंकर….
किसका ध्यान धरे कैलाशी इसका ज्ञान अमर दो,
तूँ है या फिर ध्यान धरे जो वो बैठा कण कण में,
हे शिव शंकर…. |
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