जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
अगस्त्य मुनि ने एक गुप्त मंदिर को प्राण-प्रतिष्ठित किया (Agastya Muni Ne Ek Gupt Mandir Ko Pran Pratsthit Kiya)

Agastya Muni consecrated a secret temple | Hindi Stories

काशी सभी पवित्र शहरों में सबसे ज्यादा पवित्र है और ज्ञान पाने का सबसे पुराना स्थान है। ये वो जगह है जहाँ किसी समय पर सैंकड़ों आत्मज्ञानी रहते थे। आप किसी भी गली में जायें, कोई न कोई आत्मज्ञानी मिल ही जाता था। लेकिन एक और काशी है उत्तर में, हिमालय की श्रृंखलाओं में जिसे गुप्तकाशी कहते हैं। वो लोगों के लिये अज्ञात थी। किसी को उसके बारे में पता न था। हमारे लिये गुप्तकाशी का खास महत्व इसलिये है क्योंकि लगभग 75 साल पहले, ध्यानलिंग स्थापना की तैयारी का काम वहीं शुरू हुआ था। वहाँ का मंदिर बहुत विचित्र है पर अपने आप में बहुत सुंदर है!

गुप्तकाशी वो जगह है जहाँ अगस्त्य मुनि रहे थे और काफी घूमे थे। या तो अगस्त्य ने ही, या फिर, उनके जैसे और किसी ने इस मंदिर के लिंग को प्राणप्रतिष्ठित किया था। ये लिंग जिस तरह से बना हुआ है वो अगस्त्य के काम करने के तरीकों से बहुत मिलता जुलता है, जो कि शुद्ध क्रिया है। कोई मंत्र नहीं, कोई तंत्र नहीं, दूसरी कोई चीज़ें भी नहीं! शत प्रतिशत ऊर्जा काम। मैं भी उसी तरह का हूँ। मैं सिर्फ यही चीज़ जानता हूँ और बस ऊर्जा के आधार पर जीवन को एक आयाम से दूसरे आयाम में बदल सकता हूँ।