अनूठे महाराजा रणजीत सिंह - Unique Maharaja Ranjit Singh
एक बार महाराजा रणजीत सिंह जंगल से लौट रहे थे। यकायक सामने से एक ईट आकर उन्हें लगी। सिपाहियों ने चारों ओर नजर दौड़ाई, तो उन्हें एक बुढ़िया दिखाई दी। सिपाहियों ने तुरन्त उसे गिरफ्तार कर लिया और महाराज के सामने ले आये।
बुढ़िया महाराज को देखते ही भयभीत हो गई। वह काँपते हुए बोली, 'महाराज, मेरा बच्चा बहुत भूखा था। घर में खाने को कुछ भी नहीं था। इसलिये पेड़ पर पत्थर मारकर कुछ फल तोड़ रही थी, किन्तु दुर्भाग्यवश एक पत्थर आपको लग गया। मैं निर्दोष हूँ। यह मैंने जानबूझकर नहीं किया।'
महाराज ने कुछ विचार कर आदेश दिया कि बुढ़िया माई को एक हजार रुपये देकर सम्मानपूर्वक छोड़ दिया जाये।
तब एक मंत्री ने संकोच करते हुये पूछा, 'महाराज, जिसे दंड मिलना चाहिए उसे आप सम्मान दे रहे हैं।'
तब रणजीत सिंह बोले, 'यदि वृक्ष पत्थर लगने पर मीठा फल दे सकते हैं तो मैं उसे खाली हाथ कैसे लौटा सकता हूँ?
परोपकार करना हमें पेड़ों से ही सीखना चाहिए।' |