जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
अनुचित को ग्रंथ से हटाया (Anuchit Ko Granth Se Hataaya)

अनुचित को ग्रंथ से हटाया - Inappropriate removed from the book


राबिया महान्‌ भक्त थीं।

उनकी अटूट भक्ति से सभी लोग द थे और लोक समाज में वे श्रद्धा का केंद्र थी।

उनके सत्संग में आम जनता के साथ-साथ ज्ञानानुरागी संत साधक सम्मिलित होते थे और उनके आध्यात्मिक अनुभवों का लाभ उठाते थे।

राबिया जिन धर्मग्रंथों का अध्ययन करती थी, उनका अध्ययन यह संत समुदाय भी उनकी अनुमति लेकर करता था और जहां कोई बात समझ नहीं आती, तो राबिया उनका यथोचित समाधान कर देती थी।

एक बार एक संत राबिया के किसी धर्मग्रंथ का अध्ययन कर रहे थे।

अचानक पढ़ते हुए वे बीच में रुक गए। राबिया ने कारण पूछा तो वे बोले-

धर्मग्रंथ में एक पंक्ति कटी हुई है।
अतः यह ग्रंथ तो खंडित हो गया है।

अब दूसरा ग्रंथ लेना होगा। आखिर यह धुृष्टता किसने कौ ?' संत राबिया बोली- “यह कार्य मैंने किया है।

विस्मित संत ने कारण पूछा, तो राबिया ने कहा- “इस ग्रंथ में लिखा है कि शैतान से घृणा करो।

मैंने जब ईश्वर से प्रेम किया, तब से मेरे हृदय से घृणा भाव समाप्त हो गया है।

अब यदि शैतान भी आकर खड़ा हो जाए तो उससे भी में प्रेम ही करूंगी।

इसलिए मैंने वह पंक्ति काट दी। कसौटी पर सर्वथा खरी उतरने वाली राबिया का उत्तर सुनकर संत समुदाय श्रद्धाभिभूत हो गया।

वस्तुतः आत्मा और परमात्मा के एकाकार होने की स्थिति में दृष्टि समत्व से पूर्ण हो जाती है, क्योंकि तब आत्मा को हर जीव में परमात्मा का अंश दिखाई देने लगता है।