जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
अपशब्द भी एक उपहार है (Apashabd Bhee Ek Upahaar Hai)

अपशब्द भी एक उपहार है | abuse is also a gift

एक समय की बात है।

एक बार गौतम बुद्धा अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे।

तभी वाहन एक व्यक्ति आया जो बहुत क्रोध में था।

और गौतम बुद्ध के पास आकर बहुत भला बुरा कहने लगा गौतम बुद्ध के शिष्यों को बहुत गुस्सा आया पर गौतम बुद्ध एकदम शांत थे।

वह व्यक्ति वहन से चला गया फिर अगले दिन वह दुबारा आ गया और आज तो वह और भी ज़्यदा गुस्से में था और

गौतम बुद्ध को और भी बुरी तरह करने लगा परन्तु आज भी गौतम बुद्ध एकदम शांत थे और मुस्कुरा रहे थे पर गौतम बुद्ध के शिष्यों को बहुत गुस्सा आया।

वह व्यक्ति कुछ देर चिल्ल्ता रहा फिर चला गया।

अगले दिन वह व्यक्ति फर आया और आज तो हद ही कर दी उसने आकर गौतम बुद्ध को गली देने लगा।

गौतम बुद्ध के शिष्यों को बहुत गुस्सा आया परन्तु आज भी गौतम बुद्ध एकदम शांत थे।

इन चलता रहा और मुस्कुरा रहे थे।

यह क्रम कुछ दिन चलता रहा।

फिर उस व्यक्ति ने आना छोड़ दिया।

तब उनके एक शिष्य ने पूछा गुरु जी आप चाहते तो पहले दिन ही उस व्यक्ति को भगा सकते थे।

पर अपने ऐसा क्यों नहीं किया ?

तब गौतम बुद्धा ने बड़ी नम्रता से कहा अगर कोई व्यक्ति हमें कोई उपहार दे और हम उसे लेने से मना कर दे तो वह व्यक्ति क्या करेगा ,

शिस्य ने कहा वह व्यक्ति अपना उपहार लेकर लौट जायेगा।

तब गौतम बुद्ध ने कहा मैंने भी ऐसा ही किया उस व्यक्ति ने मुझे उपशब्द रूपी उपहार दिया मैंने

उसे लेने से मना कर दिया

मतलब उस पर कोई भी प्रतकिया नहीं दी तो व्यक्ति अपने वह अपशब्द वापस लेकर लौट गया।