जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
बुद्धिमानी से दिल जीता राजा का (Buddhimaanee Se Dil Jeeta Raaja Ka)

बुद्धिमानी से दिल जीता राजा का | won the king's heart with his wisdom

सदियों पहले की बात है। राजा सूर्यसेन प्रतापगढ़ का राजा था।

राजा की इकलौती संतान उसकी पुत्री भानुमति थी। वह अत्यंत सुंदर थी।

भानुमति के विवाह योग्य होने पर राजा को पुत्री के लिए एक योग्य वर की तलाश थी।

राजा एक ऐसा बुद्धिमान वर खोजना चाहता था जो उसकी पुत्री से विवाह के पश्चात उसके राज्य को भी संभाल सके।

राजा ने ऐलान किया कि जो कोई भी राजकुमारी से विवाह करना चाहता है वह संसार की सबसे मूलयवान वस्तु लेकर आए।

अनेक राजकुमार कई मुलयमान वस्तुएं लेकर राजा के समक्ष उपस्थित होते रहते थे किन्तु राजा ने सबको नकार दिया। राजा को यकीन था कि एक दिन कोई न कोई योग्य युवक इस शर्त को जरूर पूरा करेगा।

एक दिन उसी राजा के राज्य के एक गांव के किसान के पुत्र रघु को राजा के इस शर्त के बारे में पता लगा।

रघु बहुत बुद्धिमान था। उसने विवेकपूर्ण तरिके से सोचा और फिर एक दिन तीन वस्तुएं लेकर राजा के दरबार में हाजिर हो गया।

राजा से अनुमति पाकर वह बोला - मैं दुनिया की तीन सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तुएं लाया हूँ।

मेरे हाथ में यह मिट्टी है जो हमें अन्न देती है, यह जल है जो अमूल्य है और इसके बिना जीवन संभव नहीं है तीसरी वस्तु पुस्तक है।

पुस्तकें ज्ञान का आधार होती हैं और ज्ञान के बिना सृष्टि का संचालन असंभव है।

रघु की बुद्धिमता से राजा प्रभावित हुआ और उसने भानुमति का विवाह उससे करके उसे राज्य का योग्य उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

सार यह है कि बुद्धि, विवेक और ज्ञान से कठिन से कठिन प्रश्नों का हल निकल जाता है।