जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
बुद्धिमानी से युवक ने राजा की कृपा पाई (Buddhimaanee Se Yuvak Ne Raaja Kee Krpa Paee)

बुद्धिमानी से युवक ने राजा की कृपा पाई - The young man gained the favor of the king by his intelligence

एक राजा कुशल प्रशासक था।

प्रजा के सुख-दुःख के लिए वह प्रायः साधारण वेशभूषा में उनके बीच घुमा करता था।

एक दिन जब राजा जंगल से गुजर रहा था तो उसने कुछ घुड़सवार लुटेरे अपनी ओर बढ़ते देखे।

राजा समझ गया कि यह लूटने की नीयत से आ रहे हैं।

राजा साहसी था, अतः घबराने के बजाय उनसे लड़ने के लिए तैयार हो गया। उसी समय अचानक राजा के घोड़े का पेअर एक गड्ढे में फंस गया

घोडा एक कदम भी हिल-डुल नहीं पा रहा था। उधर लुटेरे नजदीक आते जा रहा थे।

तभी वहां से गुजर रहे चार नवयुवक वहां आए।

वे स्थिति की गंभीरता को समझ गए।

उन्होंने लुटेरों पर हमला किया और उन्हें वहां से भगा दिया।

राजा ने अपना असली परिचय देते हुए उनमें से हर युवक को अपनी इच्छित वस्तु मांगने के लिए कहाँ।

एक ने धन माँगा, दूसरे ने जमीन तो तीसरे ने मंत्री पद माँगा। राजा ने चौथे युवक से उसकी इच्छा जानी तो चौथे युवक कुछ सोचकर बोला महाराज आप हर वर्ष दो बार मेरे घर पर मेहमान बनकर आएं।

राजा ने उसकी इच्छा मान ली। जब राजा चौथे युवक के घर पर मेहमान बनकर गया तो उसे युवक के जर्जर मकान और दरिद्रता का पता चला।

तब राजा ने उसे एक शानदार मकान बनवा दिया।

राजा के प्रत्येक आगमन पर युवक को राजा की तरफ से कुछ ना कुछ अमूल्य सौगात मिलती रहती है।

अपनी बुद्धिमानी से युवक ने राजा का आतिथ्य मांगकर स्वयं का जीवन सदा के लिए खुशहाल बना लिया।

सार यह है कि यथोचित लाभ पाने के लिए अवसरों का उपयोग बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से करना चाहिए।