जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
चंचल मन को कैसे बांधकर रखें (Chanchal Man Ko Kaise Baandhakar Rakhen)

चंचल मन को कैसे बांधकर रखें - How to control a restless mind

इंसान का मन बहुत चंचल होता है और इस कारण इसे हमेशा किसी बंधन की आवश्यकता होती है ताकि यह कभी अपनी सीमा ना लांघे। एक बार अगर यह आपकी पकड़ से छूट गया, तो आपके जीवन में कलुषित विचारों और व्यभिचारों की बाढ़ आ सकती है। यह मन आपको हमेशा भटकाता रहता है। अगर आपमें थोड़ी सी भी दृढ़ता की कमी है, तो शायद आप अपने मन के गुलाम हो जायें और आपका पूरा जीवन ही व्यर्थ हो जाये।

चंचल मन को कैसे बांधकर रखें
चंचल मन को कैसे बांधकर रखें

इस मन को नियंत्रण में रखने के लिए एक संत कितने जतन करता है लेकिन एक सांसारिक व्यक्ति के पास ज्यादा समय और रास्ते नहीं होते। कबीरदास ने अपने मन को नियंत्रण में रखने के लिए एक रास्ता सुझाया है जो सभी गृहस्थ और सांसारिक व्यक्ति के लिए आसान भी है और प्रभावी भी। तो, चलिए जानते हैं इस प्रसंग के जरिये कि वह रास्ता आखिर है क्या?

एक दिन एक युवक कबीरदास के पास आया और कहने लगा - 'गुरुजी! मैंने अपनी शिक्षा पूरी कर ली है और अब मैं अपना अच्छा-बुरा समझता हूं। लेकिन फिर भी मेरे माता-पिता मुझे निरंतर सत्संग सुनने की सलाह देते रहते हैं। आखिर, मुझे रोज सत्संग सुनने की क्या जरूरत है?’ कबीर जी ने उस युवक के प्रश्न को सुना लेकिन प्रश्न का उत्तर न देते हुए एक हथौड़ी उठाई और पास ही जमीन पर गड़े एक खूंटे पर जोर से मार दी।

युवक उत्तर पाने का थोड़ी देर इंतजार करता रहा लेकिन उत्तर ना मिलने पर अनमने भाव से वहां से चला गया। अगले दिन वह फिर कबीरदास के पास आया और कहने लगा - 'मैंने आपसे कल एक प्रश्न पूछा था, पर आपने कोई उत्तर नहीं दिया। क्या आज आप मेरे सवाल का उत्तर देंगे?’ कबीर जी ने फिर उसकी बात सुनी लेकिन फिर से जवाब नहीं दिया बल्कि फिर से खूंटे के ऊपर हथौड़ी मार दी।

युवक ने सोचा कि संत पुरुष हैं, शायद आज भी मौन में हैं। वह तीसरे दिन फिर आया और अपने प्रश्न को दोहराने लगा। कबीर जी ने जवाब देने के बजाय फिर से खूंटे पर हथौड़ी चला दी। अब युवक परेशान होकर बोला - ‘आखिर आप मेरे प्रश्न का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? मैं तीन दिन से आपसे एक ही प्रश्न पूछ रहा हूं’।