जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
दूसरों का भरोसा मत करो (Doosaron Ka Bharosa Mat Karo)

दूसरों का भरोसा मत करो | don't trust others


दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है । अपनी सहायता अपने आप ही करनी चाहिए।”

एक किसान के पास एक गाय और एक घोड़ा था ।

वह दोनों एक साथ जंगल में करते थे ।

किसान के पड़ोस में एक धोबी रहता था ।

धोबी के पास एक गधा और एक बकरी थी ।

धोबी भी उन्हें उसी जंगल में चरने को छोड़ देता था ।

एक साथ चलने से चारों पशुओं में मित्रता हो गई ।

वह साथ ही जंगल में आते और शाम को एक साथ जंगल से चले जाते थे ।

उस जंगल में एक खरगोश भी रहता था ।

खरगोश ने चारों पशुओं की मित्रता देखी तो सोचने लगा – ” मेरी भी इनसे मित्रता हो जाए ।
तो बड़ा अच्छा हो, इतने बड़े पशुओं से मित्रता होने पर कोई कुत्ता भी मुझे तंग नहीं कर सकेगा ।

खरगोश उन चारों के पास बार-बार आने लगा ।

वह उनके सामने उछलता-कूदता और उनके साथ ही चरता था ।
धीरे-धीरे चारों के साथ उसकी मित्रता हो गई | खरगोश बड़ा प्रसन्न हुआ, उसने समझा कि कुत्तों का भय दूर हो गया ।

एक दिन कुत्ता उस जंगल में आया और खरगोश के पीछे दौड़ा ।

खरगोश भागा-भागा गाय के पास गया और बोला – ” गौमाता ! यह कुत्ता बड़ा दुष्ट है ।
यह मुझे मारने आया है ।

तुम इसे अपनी सींगों से मारो ।
गाय ने कहा – ” भाई खरगोश ! तुम बहुत देरी से आए, मेरे घर लौटने का समय हो गया है ।

मेरा बछड़ा भूखा होगा और बार-बार मुझे पुकारता होगा ।

मुझे घर जाने की जल्दी है ।
तुम घोड़े के पास जाओ ।
खरगोश दौड़ता हुआ घोड़े के पास गया और बोला – ” भाई घोड़े ! मैं तुम्हारा मित्र हूं, हम दोनों साथ ही यहां चरते हैं ।

आज यह दुष्ट कुत्ता मेरे पीछे पड़ा है | तुम मुझे पीठ पर बैठाकर दूर ले चलो ।

घोड़े ने कहा – ” तुम्हारी बात तो ठीक है; किंतु मुझे बैठना आता नहीं ! मैं तो खड़े-खड़े ही सोता हूं ।

तुम मेरी पीठ पर चदोगे कैसे ! आजकल मेरे सुन बढ़ गए हैं ।

मैं ना तो तेज दौड़ सकता हूं, और ना ही पैर फटकार सकता हूं ।
घोड़े के पास से निराश होकर खरगोश गधे के पास गया।

उसने कहा – ” मित्र गधे ! तुम इस पाजी कुत्ते पर एक दुलत्ती झाड़ दो | तो मेरे प्राण बच जाएं।

गधा बोला मैं नित्य गाय और घोड़े के साथ घर लौटता हूं ।

वे दोनों जा रहे हैं यदि मैं उनके साथ न जाकर पीछे रह जाऊं तो मेरा स्वामी धोबी डंडा लेकर दौड़ा आएगा ।

और पिटते-पिटते मेरा कचूमर निकाल देगा ।

मैं अब यहां ठहर नहीं सकता ।
अंत में खरगोश बकरी के पास गया | बकरी ने उसे देखते ही कहा – ” खरगोश भाई ! कृपया करके इधर मत आओ !

तुम्हारे पीछे कुत्ता दौड़ता चला आ रहा है, मैं उससे बहुत डरती हूं ।

सब ओर से निराश होकर खरगोश वहां से भागा | भागते-भागते वह जाकर एक झाड़ी में छिप गया | कुत्ते ने बहुत ढूंढा; किंतु उसे खरगोश का पता नहीं मिला ।

जब कुत्ता लौट गया | तब खरगोश झाड़ी में से निकला |उसने चारों ओर देखा और संतोष की सांस ली ।

फिर वह बोला – ” दूसरों का भरोसा करना सदा धोखा देता है ।

अपनी सहायता अपने आप ही करनी चाहिए ।”