जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
दूरदर्शी राजा (Durdarshi Raja Kahani)

एक देश में ऐसा था कि प्रजा अपना राजा ४ साल के लिये चुनती थी । 4 वर्ष तक तो प्रजा राजा का पूरा सम्मान करती थी, देवता की तरह पूजती थी, पर चार वर्ष पूरी होने पर उसे गद्दी से उतार कर दरिया पार छोड़ आती थी उधर एक बहुत बड़ा जंगल था । वहां बड़े भयानक पशु रहा करते थे | वे राजा को मारकर खा जाते थे और किसी को भी पता नहीं चलता था । ऐसे कितने राजा आये और चले गये । एक राजा आया वह बड़ा बुद्धिमान और दूरदर्शी था | उसने गद्दी पर बैठते ही यह पता लगवाया कि दरिया पर है क्या ? उसे जब मालूम हुआ की उस पर बड़ा जंगल है और पहले के राजाओं को जानवरों ने समाप्त कर दिया है तो उसने सोचा हमें भी उस पार जाना है अतः में अभी से कुछ व्यवस्था कर लू अभी तो मेरे पास हुकूमत की ताकत है अतः उसने राजकाज के काम के साथ साथ यह आदेश दिया की जंगल साफ करके एक महल का निर्माण कराओ और उसमे सभी सुख सुबिधाओं का प्रबन्ध्त कराओ और इस आदेश का पालन किया जाये फिर कुछ दिन में ही दरिया पार एक महल का निर्माण हो गया उसमे हर प्रकार की सुख की सामग्री रख दी गयी। जब चार वर्ष पुरे हुए तो हर राजाओं की तरह इस राजा को भी प्रजा ने गददी पार से उतर कर दरिया के उस पार भेज दिया। राजा का महल तो था ही वह उसमे सुख से रहने लगा।

इस कहानी को सनाते हए स्वामी जी महाराज ने दूरदर्शी महाअधिवेशन में सन्देश देते हुए कहा की राजा को दूरदर्शी होना चाहिए तभी वह कुशलता से राज्य कर सकता है जैसे यह मनुष्य जीवन भी चार अवस्थाओं का राजा है समय पूरा होते ही हमें यहाँ से धक्का देकर निकल दिया जाता ही वुद्धिमानी इसी में ही की स्वास रहते ही हमें अपना लोक परलोक दोनों बना लेना चाहिए।