गुरु की दया मेहर | Guru's mercy and grace
एक पढ़ा लिखा आदमी एक पंडित के पास अपना हाथ दिखाने के लिए गया ! पंडित ने हाथ देखकर कहा-
की तुम्हे हाथ दिखाने की क्या जरूरत हैं, तुमने तो बहुत पहुंचे हुए गुरु से नाम दान लिया हुआ हैं। तुम अपने गुरु की शरण में जाओ।
तब आदमी ने कहा की-
मैं जैसे कर्म करुगाँ, मुझे वैसा ही फल मिलेगा। गुरु के होने से मेरे कर्मो का फल तो नहीं बदल जायेगा?
पंडित ने कहा- की यह सत्य हैं, की कर्मो के अनुसार ही फल मिलता हैं, लेकिन जब गुरु साथ में हो तो शुभ कर्मो का फल कई गुना बढ जाता हैं।
व्यक्ति ने कहा- ऐसा कैसे हो सकता हैं ?
पंडित जी बोले- अगर तुम क्रिकेट का कोई बल्ला बेचो, तो उसके कितने पैसे मिलेगे?
व्यक्ति ने कहा- की कुछ सेकड़ों में उसकी कीमत लगेगी।
पंडित ने कहा- की अगर सचिन तेंदुलकर उसको बेचे तो, कीमत क्या होगी?
व्यक्ति ने कहा- कि लाखो में होगी ! अगर तुमने कोई गाने के लिए कितने पैसे मिल सकते है?
व्यक्ति ने कहा- मुझसे कोई भी गाना सुनना पसंद नहीं करेगा ! अगर लता मंगेशकर गायक गाना गाये तो कीमत लाखो में हो सकती हैं।
पंडित ने कहा- बिलकुल सही। इसी तरह तुम्हारी किस्मत का फैसला तुम्हारे गुरु के हाथो में होने के कारण उसकी कीमत बढ जाती हैं !!
"जो व्यक्ति अपने गुरु की महानता समझ चूका हो, वो अपना हाथ कभी भी किसी को नहीं दिखायेगा, और अपने गुरु के वचनों पर पूर्ण भरोसा करेगा !!" |