जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
हाथ पांव काट दो (Hat Pav Kat Do Kahani)

एक महात्मा जी थे | उनके पास बहुत से लोग आया जाया करते थे । एंक दिन एक आदमी उनके पास आया और बोला कि महाराज ! मेरे बच्चे मुझे बहुत प्यारे हैं और मेरी स्त्री बड़ी पतिभक्त है । महात्मा जी ने जबाब दिया कि बच्चा ! इस दुनियां में कोई किसी का नहीं । कौन किसकी स्त्री कौन किसका बच्चा | पर वह आदमी नहीं माना | तब महात्मा जी ने कहा कि मेरे पास पन्द्रह दिन लगातार आना तब मैं परीक्षा लेकर बता दूँगा । वह मनुष्य महात्मा जी के पास रोज आने लगा। महात्मा जी ने उसे नाक, आँख, मुँह बन्द करने व सांस रोकने का योगाभ्यास सिखा दिया |

जब 15 दिन समाप्त हो गये. तब महात्मा ने कहा बच्चा ! आज घर पर जाना तो अपना स्त्री की पतिभक्ति की परीक्षा कर लेना । घर जाने के बाद आंगन में हाथ पांव लम्बे फैला देना और अपने इस योगाभ्यास से स्वांस रोक लेना और मरी हुई शक्ल में पड़ जाना परन्तु कान से सब कुछ सुनते रहना | उस आदमी ने घर आकर ठीक वैसा बहाना जैसा कि महात्मा जी ने समझाया था ।

घर में हलचल मच गई, वैसे हकीम, डाक्टर सभी आये, देखा सुना और बोले कि इसका प्राण तो निकल चुका है । इन्हें अब ले जाओ और अन्तिम संस्कार कर दो । पास-पड़ोस की सभी इकट्ठे हुये कफन आदि पहनाया गया परन्तु तब शरीर को दरवाजे से बाहर निकालने लगे तो हाथ-पांव अकड़ गया और सीधा नहीं हुआ । दरवाजे से लाश निकालने लगे तो हाथ-पॉव अकड़ गया और सीधा नहीं हुआ । दरवाजे से लाश निकलाने में कठिनाई हो गई । अच्छी मुसीबत खड़ी हो गई थी । तब लोगों ने सोचा कि थोड़ी दीवाल तोड़कर रास्ता बड़ा कर दें |

यह सोचकर जैसे ही वे दीवाल तोड़ने के लिये आगे बढ़े कि उस व्यक्ति की पत्नी ने कहा कि अरे, अरे ! यह क्या कर रहे हो ? मेरा घर टूट जायेगा । तब लोगों ने पूछा - इसे वाहर कैसे निकाला जाय ? उस औरत ने कहा कि ठहरो ! मैं अभी बताती हूँ । यह कहकर वह दौड़ी-दौड़ी गई और घर से चारा काटने वाला गड़ासा उठा लाई और बोली कि लो इससे इसके आधे हाथ पैर काट दो फिर शरीर बाहर.निकाल लो | ज्योंही लोगों ने गड़ासा उठाया कि हाथ पांव काट दें, वस इतने में उस व्यक्ति ने जोर से झटका मारा और रस्सी टूट गई ।

वह कूद कर उठा और सीधे भागा-भागा महात्मा जी के पास पहुँचा और बोला कि महाराज यदि एक सेकेण्ड भी देर किया होता तो मेरे हाथ पांव गायब हो गये होते अब मेने समझ लिया कि वास्तव में यह दुनियां किसी की नहीं हैं में तो समझता था की ये स्त्री मेरी हैं ये बच्चे मेरे हैं लकिन इस दुनियां में कोई किसी का नहीं हैं