जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
जिंदगी दो पल की – जियो जी भर के (गिलहरी और अखरोट का लालच) (Jindagee Do Pal Kee Jiyo Jee Bhar Ke Gilaharee Aur Akharot Ka Laalach)

जिंदगी दो पल की – जियो जी भर के (गिलहरी और अखरोट का लालच) - Zindagi Do Pal Ki – Live to your heart’s content (The greed of the squirrel and the walnut)

नंदन वन में कुटकुट गिलहरी रहती थी। कुटकुट गिलहरी बहुत ईमानदार और बहुत मेहनती थी। वह जंगल के राजा शेर सिंह के यहाँ नौकरी करती थी, शेर सिंह ने उसे 10 बोरी अखरोट देने का वादा किया था। इसीलिए गिलहरी पूरी लगन और मेहनत से अपना काम करती थी। शेर सिंह को खुश करने के लिए वो कई बार तो बहुत ज्यादा काम भी करती थी उसे खुशी थी कि उसका मालिक उसे 10 बोरी अखरोट देगा जिन्हें वो मजे से खायेगी और सारी जिंदगी आराम से रहेगी।

कुटकुट रोज समय से काम पे जाती और पूरा काम करके ही वापस आती, कई बार वो काम करते करते थक जाती थी तो सोचती कि थोड़ा आराम कर लूँ लेकिन फिर अचानक अखरोट का ख्याल आता तो वह फिर से काम में लग जाती।

कभी कभी काम करते समय वो अपनी मित्र गिलहरियों को खेलते हुए, मस्ती करते हुए देखती तो उसका भी मन करता कि मैं भी दोस्तों के साथ खेलूं और मस्ती करूँ लेकिन जैसे ही अखरोट की याद आती वो लालच में फिर से काम करने में लग जाती।

शेर सिंह कभी कभी उसे बाहर शहर भी काम से भेजा करता था। वह कुटकुट के काम से बेहद खुश था, ऐसा नहीं था कि शेर सिंह ईमानदार नहीं था। शेर सिंह भी ईमानदार था और अपनी जुबान का पक्का भी था।

समय का चक्र अपनी गति से चलता गया। एक समय ऐसा भी आया जब शेर सिंह ने अपने वादे के अनुसार गिलहरी को 10 बोरी अखरोट देकर खुशी से आजाद कर दिया।

गिलहरी खुशी खुशी अखरोट लेकर चली आई। अचानक उसे कुछ ख्याल आया और उसकी आँखों से आँसू निकल आये, वो सोचने लगी – मेरी पूरी जिंदगी तो काम करते करते बीत गयी और अब तो मेरे पैने दाँत भी पूरे घिस चूके हैं अब ये अखरोट किस काम के? कुटकुट के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

दोस्तों आज के समाज में कुछ ऐसा ही हाल हम लोगों का भी है। इंसान अपनी सारी इच्छाओं को त्यागकर, अपनी जरूरतों को कम करके दिन रात पैसा जोड़ता है। वो सोचता है कि वह आगे आने वाले समय में इस पैसे से आराम और ऐश करेगा। और इसी चक्कर में इंसान ना जाने कितनी तकलीफें झेलता है? ना जाने कितने सपनों को अधूरा छोड़ देता है? लेकिन अंत समय में इंसान की आँखें खुलती हैं जब वो किसी लायक नहीं रह जाता।

दोस्तों ऐसे पैसे कमाने से क्या फायदा जिसको इकठ्ठा करने में आपका पूरा जीवन ही खराब हो जाये और वो पैसा खुद आपके किसी काम का ना रहे। जीवन में एक बात जरूर याद रखना – “समय से कीमती कोई चीज़ नहीं, इस दुनियाँ में ऐसा कोई अमीर पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके।”

मित्रों मुझे उम्मीद है इस कहानी को पढ़कर आपको बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। छोटी सी जिंदगी है यारो, हर पल का आनंद लो।