एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।
रास्ते में उन्हें एक नाला पार करना पड़ता था। एक दिन गधा अचानक धारा में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। नमक पानी में घुल गया और इसलिए बैग का वजन बहुत हल्का हो गया। गधा खुश था।
फिर गधे ने हर दिन एक ही चाल चलना शुरू कर दिया।
नमक बेचने वाले को गधे की चाल समझ में आ गई और उसने उसे सबक सिखाने का फैसला किया। अगले दिन उसने गधे पर एक कपास का थैला लाद दिया।
गधे ने होशियार बनके फिर से वही चाल खेली ताकि कॉटन बैग ओर हल्का हो जाए।
लेकिन भीगे हुए कपास के कारण ओर ज्यादा भारी हो गया और बेग ढोने में गधे को बहुत तकलीफ़ का सामना करना पड़ा।
गधे को उसकी कामचोरी का फल मिल चुका था। उसने एक सबक सीखा। उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली, और विक्रेता खुश था।
कहानी की शिक्षा:
हमें अपना काम करने में कभी कामचोरी नहीं करनी चाहिए। |