जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
कैसे छोड़ें बुरी आदतें (Kaise Chhoden Buree Aadaten)

कैसे छोड़ें बुरी आदतें - How to give up bad habits

एक बार की बात है, किसी दूर गाँव में एक किसान रहता था जिसका एक बेटा था। यूँ तो वह बहुत धनी था लेकिन किसान अपने बेटे की कुछ गन्दी आदतों से बहुत परेशान था, बहुत प्रयासों के बाद भी उसका बेटा बुरी आदतों को छोड़ने को तैयार नहीं था। धनी किसान बेटे को एक ऋषि के पास ले गया और ऋषि को सारी बात बताई।

ऋषि ने किसान को विश्वास दिलाया कि वह उसके बेटे की सारी गन्दी आदतें छुड़ा देंगे। ऋषि बेटे को लेकर एक जंगल में गए वहाँ बहुत सारे पेड़ पौधे थे।

ऋषि ने बच्चे से कहा जाओ एक छोटा नन्हाँ पौधा तोड़ के लाओ। बच्चा गया और बड़ी आसानी से एक छोटा पौधा तोड़ लाया। फिर ऋषि ने कहा- शाबाश, अब एक थोड़ा बड़ा पौधा उखाड़ कर लाओ।

लड़का गया और एक बड़ा पौधा उखाड़ने की कोशिश करने लगा, उसने पूरी ताकत लगायी और पौधा जड़ सहित उखड़कर हाथ में आ गया। ऋषि ने कहा- ठीक है, अब ये एक अमरुद का पेड़ उखाड़ के दिखाओ।

लड़का ख़ुशी ख़ुशी भाग के गया और फिर पूरी ताकत से पेड़ उखाड़ने में लग गया, लेकिन ये क्या पेड़ हिला तक नहीं, बच्चे ने फिर से पूरी ताकत लगायी लेकिन फिर असफल, कई बार प्रयास करके वो थक गया और ऋषि से बोला- इसको उखाड़ना तो असंभव है ।

अब ऋषि ने बच्चे को समझाया- ये पौधा, तुम्हारी बुरी आदतों की ही तरह है। जब पौधा छोटा था तो कितनी आसानी से तुमने इसे उखाड़ फेंका लेकिन थोड़े बड़े पौधे को उखाड़ने में कितनी मुश्किल हुई और जब एक बड़े पेड़ को उखाड़ने की कोशिश की तो असंभव हो गया।

इसी तरह बुरी आदतों को अगर शुरुआत में ना छोड़ो तो फिर आगे चल कर ये बड़े पेड़ का रूप ले लेतीं हैं और उनको फिर छोड़ना असंभव हो जाता है। बच्चे को बात समझ में आ गयी और उसने उसी दिन से अपनी सभी गन्दी आदतों को छोड़ने का फैसला ले लिया|

मित्रों अक्सर समाज में देखा जाता है कि बहुत सारे लोगों में बुरी आदतें होती हैं- जैसे धूम्रपान(Smoking), नशा, गुस्सा, स्वार्थ, घमंड, चोरी आदि और काफी लोग इन गन्दी आदतों से छुटकारा भी पाना चाहते हैं लेकिन वो चाहकर भी नहीं छोड़ पाते क्यूंकि उनकी ये अादतें पेड़ का रूप ले चुकीं हैं जिनको उखाड़ना अब असंभव सा प्रतीत होता है। तो दोस्तों, बुरी आदतों को पेड़ ना बनने दें जल्द ही उन्हें उखाड़ फेंकें यही इस कहानी की शिक्षा है|