जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
मां! यह गाय तुम्हारा बालक होती तो ? (Maan! Yah Gaay Tumhaara Baalak Hotee To ?)

मां! यह गाय तुम्हारा बालक होती तो ? - Mother! What if this cow was your child?

सावली गांव जि. बड़ोदरा, गुजरात के एक गरीब घर का बालक था चूनीलाल। उसके घर एक गाय थी। चूनीलाल की मां घर का सब काम करती, फिर दूसरों के घरों में भी काम करने रोज जाती। इससे गाय की देखभाल के लिए समय नहीं मिलता था।

एक दिन मां ने घर में कहाः अपना गुजारा मुश्किल से होता है तो फिर गाय को कहां से खिलायें ? गाय माता भूखी रहेगी तो हमें भी पाप लगेगा। मुझे यह बात हृदय में खटकती है। इससे तो अच्छा हम इसे किसी सेवाभावी व्यक्ति को बेच देते हैं।
यह सुन चूनीलाल ने कहाः मां यह गाय तुम्हारा बालक होती तो ?

मां: अरे चूनिया! हमारे पास गाय को बांधने के लिए अलग जगह नही है। उसके लिए खरीदकर घांस भी नहीं ला सकते हैं। गोबर गोमूत्र से रास्ता बिगड़ता है। इसी कारण रोज गांव वालों की खरी खोटी बातें भी सुननी पड़ती हैं। बिना विचारे बात मत किया करो।

चूनीलाल ने विनम्र भाव से कहाः मां ! गाय की देखरेख मैं करूंगा, उसके लिए घांस भी ले आऊंगा। फिर अपनी पढ़ाई भी ठीक से करूंगा। उसमें जरा भी कमी नहीं आने दूंगा। बोल मां! तब तो गाय को नहीं बेचेगी ना ? गाय तो हमारी माता कहलाती है। उसकी तो पूजा करनी चाहिए।

बोलना आसान है किंतु पालना कठिन है। देखती हूं तू गाय की कैसे देखभाल करता है। तू बोला हुआ करके बता तो सही। दूसरे दिन चूनीलाल ने गोबर गोमूत्र से खराब हुआ रास्ता साफ करके वहां सूखी मिटटी डाल दी। निकट के कालोल गांव में सब्जी आदि लेकर आस पास के गांवों से बैलगाड़ियां आती थी

उनके बैलों के खानों से बची हुयी अच्छी अच्छी घांस इकटठी करके चूनी लाल गाय के लिए रोज ले जाता था। कभी दोस्तों से अनुमति लेकर उनके खेत के किनारे ऊगी घांस काटके गाय को ताजी, हरी घास प्रेम से खिलाता। वह पढ़ाई में भी आगे रहता था।

यह सब देख मां मन ही मन बहुत प्रसन्न होती, सोचतीः आखिर चूनिया ने वचन का पालन कर ही लिया।

जीवों के प्रति दयाभाव, वचन पालन में दृढ़ता, पुरुषार्थ, विनम्रता, ईश्वर भक्ति आदि सदगुणों ने बालक चूनीलाल को सद्गुरु के पास पहुंचा दिया और उन्होंने महानता की ऊंचाईयों को पाया तथा पूज्य मोटा के नाम से विख्यात हुए.
जयगुरुदेव