जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
माँ की ममता पर कहानी (माँ का त्याग -एक रोटी) (Maan Kee Mamata Par Kahaanee Maan Ka Tyaag -Ek Rotee)

माँ की ममता पर कहानी (माँ का त्याग -एक रोटी) : Story on Mother's Love (Mother's Sacrifice - A Roti)

बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्धि, उनके ज्ञान और अच्छे आचरण की वजह से पूरे विश्व में फ़ैल चुकी थी। वह जहाँ भी जाते, लोग उनके अनुयायी बन जाते और उनकी बातों से मंत्रमुग्ध हो जाते थे।

एक बार स्वामी विवेकानंद एक नगर में पहुँचे। जब वहाँ के लोगों को पता चला तो वो सारे लोग स्वामी जी मिलने के लिए पहुँचे। नगर के अमीर लोग, एक से बढ़ कर एक उपहार स्वामी जी के लिए लाये।

कोई सोने की अँगूठी लाया तो कोई हीरों से जड़ा बहुमूल्य हार। स्वामी जी सबसे भेंट लेते और एक ओर अलग रख देते।

उतने में एक बूढी औरत चलती हुई स्वामी जी के पास आई और बोली, – महाराज आपके आने का समाचार मिला तो मैं आपसे मिलने को व्याकुल हो गयी।

मैं बहुत गरीब हूँ और कर्ज में दबी हूँ, मेरे पास आपको देने के लिए कुछ उपहार तो नहीं है। मैं खाना खा रही थी तो कुछ रोटियाँ आपके लिए लायी हूँ, अगर आप इस गरीब की रोटियाँ स्वीकार करें तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी।

आस पास खड़े लोग इस बूढी औरत को घृणा की दृष्टि से देखने लगे कि ये औरत क्या बेवकूफ है, जो ऐसी सुखी रोटी स्वामी जी के लिए लेकर आयी है|

स्वामी जी की आँखों में आँसू भर आये, उन्होंने उस महिला से रोटी ली और वहीं खाने लगे। वहाँ बैठे लोगों को ये बात कुछ बुरी लगी उन्होंने पूछा- स्वामी जी, हमारे दिए हुए कीमती उपहार तो आपने अलग रख दिए और इस गंदे कपड़े पहने औरत की झूठी रोटी आप बड़े स्वाद से खा रहे हैं। ऐसा क्यों?

स्वामी जी बड़ी सुंदरता से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि देखिये आप लोगों ने मुझे अपनी पूरी धन और दौलत से मात्र कुछ हिस्सा निकालकर मुझे कीमती रत्न दिए।

लेकिन इस महिला के पास तो कुछ नहीं है सिवाय इस रोटी के, फिर भी इसने अपने मुँह का निवाला मुझे दे दिया| इससे बड़ा और त्याग क्या हो सकता है? एक माँ ही ऐसा काम कर सकती है, माँ खुद भूखे रहकर भी अपने बच्चों को खाना खिलाती है। ये एक रोटी नहीं, इस माँ की ममता है, और इस ममतामयी माँ को मैं शत शत नमन करता हूँ।

स्वामी जी की बातें सुनकर वहाँ उपस्थित सारे लोग निशब्द रह गए। वाह! कितने उच्च विचार हैं आपके, सबके मन में स्वामी जी के लिए यही शब्द थे।

मित्रों माँ एक इंसान नहीं बल्कि भगवान का दिया हुआ वरदान है जो हम लोगों को मिला है। कहा जाता है कि माँ की ममता के आगे स्वर्ग का सुख भी फीका है। क्यूंकि माँ ही वो इंसान है जो खुद कष्ट सहकर अपने बच्चों को पालती है। तो मित्रों अपने माता पिता की सेवा करिये उन्हें कभी दुःख मत पहुँचाइये यही इस कहानी की शिक्षा है|