जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
महात्मा दूरदर्शी होते है (Mahatma Durdarshi Hote Hai Kahani)

sages are visionaries

गुरु की महत्ता के सम्बन्ध में चर्चा करते हुये बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने बताया कि महात्मा बड़े दूरदर्शी होते हैं । उनका हर कार्य जीवों की भलाई के लिये ही होता है | तुमको चाहिए कि बहुत सोच समझकर शब्दों का उच्चारण करो ।

एक महात्मा जी अपने आश्रम में बैठे हुये थे । एक किसान उधर से गुजरा । ठण्ड बहुत पड़ रही थी । उसने सोचा कि थोड़ी देर तक आश्रम में चलकर हाथ सेक लिया जाय । यह विचार करके वह आश्रम में चला गया और महात्मा जी को प्रणाम करके बैठ गया । किसान एक टिन घी का लिये हुए था। महात्मा जी ने पूछा - बच्चा ये क्या है? किसान ने उत्तर दिया आपका ही है । महात्मा जी चुप हो गये | कुछ देर बाद जब वह किसान टिन उठाकर चलने लगा तो महात्मा जी बोले कि इसको कहां लिये जा रहे हो ? इसको यहीं रख दो । वह बेचारा मुँह देखने लगा |

स्वामी जी ने आगे कहा कि ऋषियों ने राज्य नहीं किया। जब प्रजा में असन्तोष और पाप बढ़ने लगा तो वे जनता के बीच आकर खड़े हो गये और उन्होंने सबका सुधार किया। राजाओं से उन्हों ने कहा कि राज्य हमारा है ऐसा संमझकर काम करो कि फिर गलत काम नहीं कर सकोगे । जब तुम तन को, धन को, मन को महात्मांओं को सौंप देते हो फिर तन से, मन से और धन से पाप कर्म नहीं कर पाओगे | ये चीजें तुम्हारे पास अमानत के रूप में रहती हैं । वैसे महात्माओं को तुम्हारी किसी चीज का आवश्यकता नहीं है और न लेना ही चाहते हैं किन्तु तुम्हारी आशक्ति को छुड़ाने के लिए, तुम्हारे मोह बन्धन को कम करने के लिए वे कहते हैं कि गुरु को तन, मन, धन अर्पण करना होगा । तन, मन, धन से .पाप करोगे तो उसका नाम देना नहीं है