मन को काबू कैसे करें - how to control the mind
मन क्या है – मन वह चेतना शक्ति है जिसे इंसान अगर अपने वश में कर ले तो यह इस आत्मा को परमात्मा से मिला देता है और जो इस मन को अपने काबू में नहीं कर पाता, उस व्यक्ति को ये मन जीवन भर नाच नचाता रहता है।
मन को नियंत्रित कैसे करें
महाभारत के युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने युद्ध लड़ने से मना कर दिया तब श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि हे अर्जुन तुम किसलिए डरते हो ? तुम स्वयं परमात्मा का एक अंश हो। अपने भीतर झांक कर अपनी आत्मा को देखो फिर तुम्हें आत्मा में उस परमात्मा का रूप दिखाई पड़ेगा।
तब अर्जुन कहते हैं कि हे प्रभु आप तो कहते हैं कि इस शरीर में आत्मा का वास है और अब आप कह रहे हैं कि आत्मा को देखो? आखिर इस आत्मा को देखेगा कौन? क्या कोई और भी शक्ति है इस शरीर में जो आत्मा देखेगी ?
श्री कृष्णा – हाँ, मन ! ये मन बहुत शक्तिशाली है। हे अर्जुन! मन के बारे में विस्तार से समझाने के लिए मैं तुमको एक कथा सुनाता हूँ –
“सोचो कि शरीर एक रथ है। इस रथ में पाँच घोड़े हैं जो रथ को चलाते हैं ये पांच घोड़े ही हमारी पांच इंद्रियां हैं। इस रथ का सारथी है – “मन” और इस सारथी के हाथ में ही पांचों घोड़ों की लगाम है।
ये सारथी रूपी मन जिधर चाहे उधर इन घोड़ो को ले जा सकता है। इस रथ का स्वामी एक राजा है जो रथ के सिंघासन पर बैठा रहता है। ये राजा ही हमारी आत्मा है जो इस पूरे रथ रूपी शरीर की मालिक है।
ये मन बहुत चंचल है, ये व्यसन, भोग विलास और वासना की तरफ आकर्षित होता है। इस मन रूपी सारथि को जहाँ आनंद की डगर दिखती है, ये वहीँ पांचों घोड़ों को ले जाता है। ये मन रूपी रथ का सारथि हमारी इन्द्रियों से जो चाहे वो करवाता है और जिधर चाहे उधर ले जाता है।
हमारे इस शरीर की जो अंतरात्मा है वो रथ का राजा है. अगर राजा शक्तिशाली है तो वह रथ के सारथि को कुछ भी गलत करने से रोक सकता है। ये राजा पूरे रथ का मालिक है। ये जो भी आज्ञा देगा वो इस सारथि को माननी होगी।
लेकिन दुर्भाग्यवश इस मन को काबू करना इतना आसान नहीं है। इसके लिए आत्मा यानि राजा को हमेशा इस पर नजर रखनी होगी। अगर आत्मा मन पर काबू पा ले तो ये मन फिर आत्मा का ही कहना मानता है। ”
हे अर्जुन, ये मन इतना शक्तिशाली है अगर इसे इंसान ने काबू नहीं किया तो ये जीवन पर्यन्त तुमको भटकाता रहेगा और अगर इंसान ने मन को काबू में कर लिया तो यही मन आत्मा को परमात्मा तक लेके जाता है, इतना बलशाली है ये मन!!
हे अर्जुन! इस मन की ताकत का तुमको तनिक भी अंदाजा नहीं है जो इंसान इस मन की शक्ति को समझ लेता है और उसे काबू में कर लेता है वो इंसान साक्षात् देवपुरुष बन जाता है।
अर्जुन – हे कृष्ण! ये मन इतना बलशाली है तो इसे वश में करने के क्या उपाय हैं ? कैसे इस मन रूपी सारथि को काबू में किया जाये ?
श्री कृष्ण – अर्जुन इस मन पर काबू पाने के दो रास्ते हैं –
पहला – अनुभव
दूसरा – वैराग्य
ये मन बड़ा चंचल है। जब भी ये गलत दिशा में जाये इसे रोको, अपने मन को वापस सही रास्ते पर लाओ। ये फिर भागेगा, तुम फिर इसे पकड़ कर लाओ। ये भागता रहेगा लेकिन तुम हर बार इसे पकड़ कर लाते रहो।
जिस प्रकार किसी घोड़े को काबू में करने के लिए इंसान को कई प्रयत्न करने होते हैं। नया घोड़ा सवार को अपने ऊपर बैठने नहीं देता और घुड़सवार को बार बार नीचे गिरा देता है लेकिन अगर घुड़सवार दृढ़निश्चयी है तो वो बार बार गिरता है और फिर से घोड़े को काबू करने की कोशिश करता है और अंत में वो घोड़े पर काबू पाने में सफल हो जाता है और फिर यही घोडा उस घुड़सवार को उसकी मंजिल तक ले जाता है। ठीक उसी तरह तुमको भी बार बार प्रयास करने होंगे तब कहीं जाकर ये मन वश में होगा। ये प्रक्रिया बहुत कठिन है लेकिन लगातार प्रयास करने से एक दिन ऐसा आयेगा जब ये मन सिर्फ तुम्हारे कहने पर ही चलेगा और तुम इसके सच्चे स्वामी बन जाओगे।
दूसरा तरीका है – वैराग्य अर्थात जो बुरा है उसे समझो और अपने मन को समझाओ कि ये बुरा है। बुरी संगति और बुरी आदतों को छोड़ते चलो और अच्छे विचारों को अपनाओ। वैरागी हो जाओ, जो व्यसन हैं उनकी तरफ कभी ध्यान मत दो। मन में गलत विचार आते ही उनसे दूर हो जाओ, अच्छे विषय की बातें सोचो| इस तरह तुम अपने मन को काबू में कर पाओगे।
हे अर्जुन! याद रहे,,ये मन इतना शक्तिशाली है कि अगर इसको वश में कर लिया तो ये तुम्हारा हाथ पकड़ कर परमधाम तक ले जाता है और अगर वश में ना किया तो ये तुम्हें ना इस लोक का छोड़ेगा और ना उस लोक का….
मित्रों श्री कृष्ण ने रथ के उदाहरण के माध्यम से अर्जुन को मन के बारे में विस्तार से समझाया और हमें पूरी उम्मीद है कि आपको भी बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। |