जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
पांच चोरों की कहानी (Paanch Choron Kee Kahani)

पांच चोरों की कहानी - story of five thieves

पांच चोर चोरी करने जहां जाना था उसी ओर निकले। उनको प्यास लगी। सामने महात्मा का आश्रम दिखा। वहां एक कुंआ था। पहले लोग जब कहीं चलते थे तो लोटा डोर लेकर साथ रखते थे। वो लोग भी लोटा डोर लेकर कुंये पर पानी लेने गए। कुंये पर आवाज हुई तो आश्रम के लोग आ गए। महात्मा जी ने उन सभी को बुलाया और पूछा कि तुम लोग कौन हो और यहां कैसे आए ?

वो डर गए लेकिन सच बोले कि हम लोग चोर हैं और सच सच सारी बात बता दी। महात्मा जी ने उन लोगो को बिठाया, पूरा सतसंग सुनाया और फिर पूछा कि चोरी क्यों करते हो?

वे बोले कि हमारा पूरा नहीं पड़ता है। महात्त्मा जी ने कहा कि हम बतायेंगे तुमको। उनके यहां एक ठेकेदार से कहा कि इन आदमियों को तुम कोई काम दे दो ये अपना मेहनत मजदूरी करेंगे। ठेकेदार ने काम बता दिया। वो अपने काम में लग गए। काम करते और महात्मा के पास आते जाते 6 महीने बीत गए। एक दिन महात्मा जी ने उन सभी को बुुलाया और पूछा कि अब पूरा पड़ता है ? उन्होंने कहा कि हां।


तो कहने का मतलब ये कि महात्मा के सतसंग से आदमी बदल जाता है, बरक्कल मिले लगती है। अनजाने में आदमी जाकर कहां फंस जाता है जब कि उसे कहीं और फंसना नहीं चाहिए। चोरी के धन में बरक्कत नहीं होती बल्कि जिसका ले जाओगे वह दुखी होगा तो उसका श्राप लगेगा।