जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
राहुल और मोहन की दोस्ती (Rahul Aur Mohan Ki Dosti Ki Kahani)

दो बच्चे थे, राहुल और मोहन। वे दोनों एक ही क्लास में थे और एक दूसरे के अच्छे दोस्त थे। राहुल बहुत ही अच्छा और अधिक बोलने वाला लड़का था जबकि मोहन शांत और कम बोलने वाला लड़का था। राहुल के माता पिता बहुत अमीर थे। जब की मोहन एक साधारण परिवार से था

एक दिन, राहुल की माँ को एक घटना की जानकारी मिली। वह घटना यह थी कि मोहन की माँ अचानक से बीमार हो गई थी। राहुल की माँ उसकी मदद के लिए अपने बेटे के साथ उनके घर गई। वहाँ पहुँचकर पता चला कि मोहन की माँ अस्पताल में भर्ती थी और वहां अभी तक उसका अच्छे से इलाज नहीं हो रहा था।

राहुल की माँ ने मोहन की माँ को एक वहां से निकल के एक अच्छे से अस्पताल में भर्ती करवाया और सारे इलाज का पैसा खुद खर्च किया मोहन बहुत ही सहयोगी दोस्त था।

जब मोहन की माँ सही हो गई तो उसने तुरंत अपनी माँ को राहुल के घर ले गया। और अपनी माँ को बताया की इन्होने ने ही आपका अच्छे से इलाज करवाया है। फिर मोहन की माँ ने, राहुल को, और उसकी माँ को देखते हुए उन्हें दुआएं दी।

इस पर राहुल की माँ ने कहा, की ऐसा मैंने इसलिए किया, क्यों की मुझे अपने बेटे को सीख देनी थी। की हमें हमेसा अपने समाज में लोगो की मदद करनी चाहिए।

राहुल और मोहन दोनों अच्छे दोस्त थे, लेकिन इस घटना के बाद उनकी दोस्ती और मजबूत हो गई। वे दोनों हमेशा एक-दूसरे की मदद करने के लिए उपलब्ध रहते थे और एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने लगे। वे दोनों के बीच एक गहरी दोस्ती और आपसी समझ हो गई थी।