जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
ऋषि अगस्त्य के जन्म से जुड़ी अद्भुत कथा (Rishi Agastya Ke Janm Se Judi Adbhut Katha)

Amazing story related to the birth of sage Agastya

एक बार एक समय पर मिथरा (सूर्य) और वरुण (बारिश का देवता) आकाशीय अप्सरा उर्वशी के प्रेम में पड़ गए। सुंदर नर्तकी को देखते ही उनका वीर्य का स्राव हो गया, जिसे एक घड़े में संरक्षित कर लिया गया। इस घड़े में से दो महान ऋषियों का जन्म हुआ – ऋषि अगस्त्य और ऋषि वशिष्ठ। इन दोनों को एक साथ मैत्र वरुण भी कहा जाता है। चूंकि ऋषि अगस्त्य का जन्म एक घड़े से हुआ था, इस कारण इनको कुंभ संम्भव या कुंभ मुनि नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि कलियुग के शुरू होने से लगभग 4000 वर्ष पूर्व उनका अस्तित्व था और मान्यता यहां तक है कि वे तमिलनाडु में आज भी अपने भक्तों द्वारा वहां जीवित हैं।

सिद्ध चिकित्सा में एक अलग ही लोक कथा जो एक अलग कहानी कहती है। इसके अनुसार गुजरात के एक स्थान पर, कलियुग की शुरुआत से लगभग 4573 साल पहले ऋषि अगस्त्य का जन्म हुआ था। उनके पिता भार्गव (सविथ्रू – 14 आदित्यों में से एक) एक महान ज्ञानी थे और उनकी माता इंदुमती पंजाब की सिंधु नदी के तट से थे यह दोनों ही ऋषभ मुनि के पासुपाठ के भक्त थे।