जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
सांप और आरी (Saamp Aur Aaree)

सांप और आरी | snake and saw

एक दिन कहीं से एक सांप आया और एक गोदाम में घुस गया । गोदाम में अंधेरा था ।

अंधेरे में सांप किसी चीज़ से टकरा गया और थोड़ा ज़ख़्मी हो गया ।

फिर क्या सांप पर गुस्सा चढ़ गया और उसने अपना फन उठा लिया ।

उसने उस चीज़ को डसने का प्रयास किया, जिससे वह टकराया था ।

इस प्रयास में वह अपना मुख भी ज़ख्मी कर बैठा क्योंकि वह चीज़ कुछ और नहीं बल्कि धारदार आरी थी – एक ऐसी चीज़ जिस पर सांप का बस नहीं चलना था ।

लेकिन गुस्से ने उसे जकड़ रखा था और उसका ख़ुद पर कोई काबू नहीं रह गया था ।

फिर उसने वैसा ही किया, जैसा सांप अक्सर किया करते हैं ।

वह आरी से कसकर लिपट गया और दबाव बनाकर उसका दम घोंटने के प्रयास में लग गया ।

फिर वही हुआ, जो होना था ।

आरी की तेज धार के उसका पूरा शरीर लहुलुहान हो गया।

अगले दिन गोदाम के मालिक ने जब गोदाम खोला, तो वहाँ आरी से लिपटे एक सांप को मरा हुआ पाया ।

क्रोध पर कोई नियंत्रण न होने के कारण सांप ने अपने प्राण गंवा दिये थे।

सीख
इस कहानी से हमे यह मिलती है की क्रोध से सबसे अधिक हानि खुद की होती है ।