सभी का ध्यान रखने वाले का किया गया चयन | The one who takes care of everyone was selected
बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार हो चुका था।
अनेक बौद्ध मठ स्थापित हो चुके थे। सभी मठों में योग्य आचार्य व कुलपित की नियुक्ति की जानी थी, ताकि वे बौद्ध धर्म के समुचित प्रसार में अपनी महती भूमिका निभा सकें।
आचार्य व कुलपति की नियुक्ति में उनके ज्ञान और विवेक के अतिरिक्त उनकी परहित-रूचि को भी विशेष रूप से परखा जाता था, क्योंकि मठ सामूहिक हितों को प्रमुखता देते थे।
एक बड़े बौद्ध मठ के लिए योग्य कुलपति की नियुक्ति उन दिनों चर्चा का विषय थी। उस बौद्ध मठ के आचार्य ज्ञान और विवेक के धनी मोदगल्यायन थे।
कुलपति पद के लिए तीन उम्मीदवार थे और तीनों ही योग्य थे, किन्तु चुनाव तो एक का ही करना था।
अतः तीनों की परीक्षा लेने के लिए तीनों को जंगल में भेजा गया। आचार्य मौदगल्यायन उनकी परीक्षा लेने के लिए पहले ही जंगल में पहुंच गए। उन्होंने मार्ग में कांटे बिछा दिए। संध्या होने तक तीनों उम्मीदवार भी वहां आ पहुंचे।
मार्ग में कांटे देखकर तीनों रुके।
एक ने कुछ सोचकर अपना रास्ता बदल लिया।
दूसरे ने कांटों पर से कूदकर रास्ता पार किया। तीसरा मार्ग से कांटे हटाने लगा, ताकि मार्ग दूसरों के लिए निष्कंटक बन जाए।
आचार्य मौदगल्यायन ने छुपकर यह देखा।
यह सब देखकर आचार्य मौदगल्यायन ने इस तीसरे उम्मीदवार को यह कहते हुए कुलपित घोषित किया कि मठ में सत्प्रवृत्तियों को परंपरा वही डाल सकेगा, जो सभी का ध्यान रख सके और अपने आचरण से प्रेरणा देने की क्षमता रखता हो।
कथा का सार यह है कि निजी हितों पर सामूहिक हितों को वरीयता देने वाला ही सच्चा नेतृत्वकर्ता होता है। |