Weekly Satsang
इतवार, वृहस्पतिवार अथवा मंगलवार के दिन सत्संग या जब सत्संग के लिये इकट्ठा हो तो प्रारम्भ में प्रार्थनायें विरह चेतावनी की करें । किसी भी महापुरुष की वाणी पढ़े किन्त भाव से पाठ होना चाहिये । एकाग्रचित्त होकर प्रार्थना करने से कर्मों की सफाई होती है और साधना में तरक्की होती है । इसके बाद थोड़ी देर के लिये ध्यान और भजन करें | ध्यान कहते हैं देखने को, भजन कहते हैं सुनने को जैसा कि नामदान का वक्त बताया गया है । ध्यान भजन के बाद कोई एक आदमी. किसी महापुरुष का सत्संग पढ़कर सुनाये । फिर एक दो प्रार्थना बोलकर या आरती करके उस मालिक के नाम की धुनि बोलकर के सत्संग समाप्त कर देना चाहिए । अन्त में जयगुरूदेव की ध्वनि हो । अन्त में यदि किसी को नाम, रूप आदि में भूल हो गई हो तो
अपने साथियों से पूछ लें । कोई सूचना हो तो बता दें । स्वामी जी के आदेशानुसार इसी प्रकार सत्संग कार्यक्रम सत्संगी बनावें | |