जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
सीख न दीजे बानरा (Seekh Na Deeje Baanara)

सीख न दीजे बानरा | don't teach me banra


उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।

उपदेश से मूरों का क्रोध और भी भड़क उठता है, शान्त नहीं होता।

किसी पर्वत के एक भाग में बन्दरों का दल रहता था।

एक दिन हेमन्त ऋतु के दिनों में वहाँ इतनी बर्फ पड़ी और ऐसी हिम-वर्षा हुई कि बन्दर सर्दी के मारे ठिठुर गए।

कुछ बन्दर लाल फलों को ही अग्नि-कण समझकर उन्हें फूंकें मार-मार कर सुलगाने की कोशिश करने लगे।

सूचीमुख पक्षी ने तब उन्हें वृथा प्रयत्न से रोकते हुए कहा-ये आग के शोले नहीं, गुञ्जाफल हैं।

इन्हें सुलगाने की व्यर्थ चेष्टा क्यों करते हो ? अच्छा यह है कि कहीं गुफा-कन्दरा में चले जाओ।

तभी सर्दी से रक्षा होगी।

बन्दरों में एक बूढ़ा बन्दर भी था। उसने कहा-सूचीमुख इनको उपदेश न दे। ये मूर्ख हैं, तेरे उपदेश को नहीं मानेंगे, बल्कि तुझे मार डालेंगे।

वह बन्दर कह ही रहा था कि एक बन्दर ने सूचीमुख को उसके पंखों से पकड़ कर झकझोर दिया।

इसीलिए मैं कहता हूँ कि मूर्ख को उपदेश देकर हम उसे शान्त नहीं करते, और भी भड़काते हैं।

जिस-तिसको उपदेश देना स्वयं मूर्खता है।

मूर्ख बन्दर ने उपदेश देने वाली चिड़ियों का घोंसला तोड़ दिया था।