Sheikh's request | Hindi Stories
गुरु रविदास प्रतिदिन सत्संग किया करते थे। उनके भेदभाव रहित विचारों का संगत पर बहुत प्रभाव होता था। हिंदू-मुसलिम दोनों ही समुदाय के लोग उनके पास परमार्थ लाभ करने के लिए आते थे।
एक दिन की घटना है। एक शेख ने आकर कहा कि हमें भी प्रेम का रंग प्रदान कीजिए। गुरु रविदास जहाँ पर चमड़ा धो रहे थे, उस कुंभ का पानी लिया और शेख को दे दिया। शेख ने उससे ग्लानि की और छुपाकर वह पानी फेंक दिया। उस पानी का छींटा उसकी कमीज पर पड़ गया। घर जाकर उसने कमीज उतारकर नौकरानी को धोने के लिए दे दी।
नौकरानी जब कमीज को धोने लगी तो पानी का वह दाग नहीं उतर रहा था। बहुत प्रयत्न किया, परंतु दाग नहीं उतरा। इसके बाद नौकरानी उस कपड़े को मुँह में लेकर दाग को चूसने लगी। दाग को चूसते ही नौकरानी में अनेक शक्तियाँ प्रवेश कर गईं। उसके परिवर्तन के बारे में जानकर शेख पछताने लगा कि मुझसे यह कैसी भूल हो गई। इसके बाद शेख ने गुरु रविदास के पास जाकर क्षमा-याचना की और उनका शिष्य बन गया। गुरु रविदास ने उसको प्रभु बंदगी का संदेश सुनाया--
करि बंदगी छाड़ि मैं मेरा।
हिरदे नामु सम्हारि सबेरा।
जनमु सिरानो पंथु न सवारा।
साँझ परी दहदिस अंधियारा।
कहि रविदास निदानि दिवाने।
चेतसि नाहीं पुनीमा फरवाने। |