एक वृक्ष के ऊपर एक तोता रहता था। यह वृक्ष बहुत बड़ा था और इसकी शाखाओं पर अनेक तोते अपनी आवाज से फिजूल के बातें करते रहते थे।
एक दिन, एक तोता बहुत बीमार हो गया। तो दूसरे तोतों ने उसे अपने ग्रुप से निकल दिया और उसे अकेला छोड़ दिया। वह तोता पास के ही एक पेड़ पे रहने रहने लगा। बीमार होने के वजह से वह दिन भर उस पेड़ पे ही उदास बैठा रहता था।
उसकी उदासी पेड़ से देखी नहीं गई, और पेड़ ने तोते से पूछ लिया, क्यों तोते भाई तुम इतने उदास क्यों रहते हो और तुम अपने साथियो के पास भी नहीं जाते, बस पूरा दिन मेरी शाखाओ पे उदास क्यों ? बैठे रहते हो।
इस पर उस तोते ने जवाब दिया। क्या करू पेड़ भाई, मैं बीमार हूँ तो मेरे अपनों ने ही मुझे खुद से दूर कर दिया है अब मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है। बीमारी के वजह से मैं जल्दी ही मर जाऊंगा।
तोते की बात सुनकर पेड़ बहुत जोर से हँसा, ऐसा क्यों कहते हो तुम्हारा कोई नहीं, देखो – मैं तो हूँ तुम्हारे साथ तुम मुझे अपना दोस्त समझो, और तुम्हारी बीमारी का इलाज मेरे पास है, पेड़ ने अपने जड़ से कुछ निकला और तोते को खाने को दिया, तोता उसे कहते ही ठीक हो गया। तोते ने पेड़ का धन्यवाद दिया, और वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
तब से वह तोता उस वृक्ष को अपने दोस्त की तरह मानता था। उसके लिए वह उस वृक्ष का देखभाल करता था और उसके शाखाओं पर अपनी जगह बनाकर बैठता था। वह अपनी आवाज से अनेक तरह के संगीत गाता था जो उस वृक्ष की सौंदर्यता को बढ़ाता था।
तब से दोनों मित्र बने रहे और एक दूसरे की मदद करते रहे। उन्होंने सहयोग करके एक-दूसरे की मदद की और एक-दूसरे के साथ बहुत समय बिताया। वह वृक्ष और उसका मित्र तोता दोनों ही एक दूसरे की मदद करने के लिए जाने जाते थे ।और इस प्रकार दोनों का संबंध सदा के लिए बना रहा।
कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जिस तरह एक वृक्ष और तोता एक-दूसरे की मदद करते रहे, उसी तरह हमें भी अपने जीवन में जरूरत मंद की हमेशा मदद करनी चाहिए। हमें दूसरों की मदद करते समय खुश और संतुष्ट महसूस होता है और इससे हमारा जीवन भी खुशहाल होता है। साथ ही, हमें दूसरों की मदद से अपने कर्मों को अच्छे कर्मों की ओर बढ़ाना चाहिए। जैसा कि हमने इस कहानी में देखा कि जब वृक्ष ने तोते की मदद की, तो तोते ने भी वृक्ष के साथ मिलकर उसकी सुंदरता को बढ़ाया। |