जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
श्री कृष्ण ने हनुमान जी की मदद से गरूड़ जी, सत्यभामा और सुदर्शन चक्र के घमंड कैसे चूर-चूर किया (SHRI KRISHAN NE HANUMAN JI KI madad se gurud ji, satyabhama aur sudarshan chakkar ka gamand kase tora)

How did Shri Krishna destroy the pride of Garuda, Satyabhama and Sudarshan Chakra with the help of Hanuman?

एक बार भगवान श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा को अभिमान हो गया कि वह सबसे सुंदर है. इस लिए भगवान ने उनके कहने पर स्वर्ग से पारिजात का वृक्ष पृथ्वी पर ले आए. वह एक बार भगवान श्री कृष्ण के साथ सिंहासन पर बैठी थी. श्री कृष्ण से पूछने लगी प्रभु जब आपने त्रेता युग में श्री राम का अवतार लिया था . क्या सीता जी भी मुझ जैसी सुंदर थी?

उनके पास में गरुड़ जी खड़े थे .उनको भी अभिमान था कि मेरी गति सबसे ज्यादा तेज है . मुझसे तेज गति और किसी की भी नहीं है . इसीलिए भगवान श्री हरि हर जगह मुझे साथ ले जाते हैं .


सुदर्शन चक्र को घमंड हो गया कि भगवान ने कई दुष्टों का संहार मेरे द्वारा किया है. मैं भगवान का सबसे शक्तिशाली शस्त्र हूँ. भगवान श्री कृष्ण ने सोचा कि इन तीनों के अहंकार मिटाने का समय आ गया है.

भगवान श्री कृष्ण ने गरुड़ जी से कहा जा कर हनुमान जी से कहो कि भगवान श्री राम माता सीता के साथ आपसे मिलने की प्रतीक्षा द्वारिका जी में कर रहे हैं . सत्यभामा से कहा, "तुम सीता जी की तरह तैयार हो जाओ . स्वयं श्री राम के जैसा स्वरूप बना लिया. सुदर्शन चक्र से कहा ,"तुम दरवाजे पर पहरा दो, मेरी आज्ञा के बिना कोई अंदर ना आ पाए".


गरुड़ जी हनुमान जी के पास पहुंचे और उन्हें संदेश दिया प्रभु श्री राम मां सीता के साथ द्वारिका जी में आपसे मिलना चाहते हैं . गरुड़ जी ने हनुमान जी से कहा, " आप मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं शीघ्रता से आपको पहुंचा दूंगा ", हनुमान जी ने कहा तुम जाओ . मैं स्वयं आ जाऊंगा .

गरुड़ जी जब कृष्ण जी के पास पहुंचे तो क्या देखते हैं हनुमान जी तो पहले से ही वहां विद्यमान है . गरुड़ जी का अपनी तेज गति का घमंड उसी समय टूट गया.

श्री कृष्ण हनुमान जी से पूछा ,"हनुमान तुम अंदर कैसे आए ,द्वार पर तुमको किसी ने रोका नहीं ".हनुमान जी कहा, प्रभु द्वार पर सुदर्शन चक्र ने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की थी ".

आपके दर्शन में विलंब करने वाले उस चक्र को मैंने अपने मुंह में रख लिया और हनुमान जी ने सुदर्शन चक्र निकालकर प्रभु के चरणों में रख दिया और सुदर्शन चक्र का घमंड टूट गया.
अब बारी आई सत्यभामा की हनुमान जी कहने लगे आपको तो मैंने पहचान लिया आपने द्वापर युग में श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया है.

आपने सीता माता के स्थान पर किस दासी को बैठाया है . इतना सुनते ही सत्यभामा को अपनी सुंदरता पर जो घमंड था चूर चूर हो गया जब हनुमान जी ने उनकी तुलना दासी से कर दी .इस प्रकार श्री कृष्ण ने हनुमान जी की मदद से सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ जी का घमंड चूर- चूर कर दिया.