जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
श्री कृष्ण के माता पिता नंद यशौदा को किस तप के कारण श्री कृष्ण के माता पिता बनने का सौभाग्य मिला (Shri Krishan Ke Mata Pita Nand Yasoda Ko Kis Tap Ke Karan Shri Krishn Ke Mata Pita Banne Ka Sobhagy Mila)

Due to which penance did Nand Yashoda, the parent of Shri Krishna, get the privilege of becoming the parent of Shri Krishna?

कृष्ण के माता पिता माँ यशौदा और नंद बाबा की कथा
श्री कृष्ण के माता पिता कौन थे ? श्री कृष्ण भगवान सारे संसार का पालन पोषण करते हैं परंतु उनके पालन पोषण का सौभाग्य माँ यशोदा और नंद बाबा को मिला. इसके पीछे उनके पूर्व जन्म की कहानी है .

नंद बाबा जो अपने पूर्व जन्म मे राजा द्रोण ओर माँ यशोदा उनकी पत्नी धरा ने कई हजारों सालों तक भगवान की तपस्या की. वह दोनों उनके बाल रुप के दर्शन करना चाहते थे. उन्होंने अपनी तपस्या के दौरान खाना- पीना छोड़ दिया.
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें वर मांगने को कहा.


दोनों बोले , " भगवान विष्णु के बाल रुप के दर्शन करने है, उनकी लीला देखनी है . "
ब्रह्मा जी ने उन्हें यह वरदान दे दिया.
ब्रह्मा जी के इस वरदान को सत्य करने के लिए विष्णु जी ने जब कृष्ण रुप में अवतार लेना था तो उन्होंने नंद बाबा और वसुदेव जी को सम्बंधी बना दिया. और योग माया को माँ यशोदा के यहाँ जन्म लेने भेज दिया.

कंस के भय से वसुदेव जी श्री कृष्ण को टोकरी में रखकर नंद बाबा के घर चले गए. एक नंद बाबा ही थे जो वसुदेव जी के लिए अपने बच्चे का त्याग कर सकते थे. वसुदेव कृष्ण जी को नंद बाबा को दे आए और उनकी पुत्री योग माया को ले आए.


धरा और द्रोण के वरदान के कारण अगले जन्म में राजा नंद और माँ यशोदा भगवान के बाल रुप को देख सके और उनकी बाल लीलाओं का आनंद ले सके.

भगवान कृष्ण ने अपनी बाल्य अवस्था के 11 वर्ष 6 महीने उनके आंगन में बिताए.


कंस ने श्री कृष्ण जन्म के पश्चात सबसे पहले पूतना को भेजा तो श्री कृष्ण ने पूतना का वध‌ कर दिया।
कंस ने उसके पश्चात शकटासुर और तृणावर्त राक्षस को भेजा श्री कृष्ण ने शकटासुर और तृणावर्त का वध कर दिया।
महर्षि गर्ग ने श्री कृष्ण का नामकरण संस्कार किया।
तृणावर्त वध के पश्चात नंद बाबा और श्री कृष्ण का गोकुल छोड़ कर वृन्दावन आना।

उन्होंने माँ यशोदा को माखन खिलाने का अवसर दिया.
उन्होंने ने मिट्टी खाकर उन्हें ब्रह्मांड दिखाया.
कालिया नाग की बुराई का दमन किया.
माँ यशोदा का भगवान कृष्ण को ओखली से बांधने और गोपियों का आकर माँ को उलाहना देना, यह सभी बाल लीलाएं माँ को दिखाई.


लेकिन जब अक्रूर जी श्री कृष्ण को रंग महल ले जाने आए तो माँ यशोदा उन्हें भेजने को तैयार नहीं थी.

श्री कृष्ण ने माँ को बहुत समझाया. योग माया ने भी अपनी माया से माँ यशोदा को भ्रमित करने कोशिश की. लेकिन वह सफल ना हो पाई. श्री कृष्ण के बिना माँ यशोदा की हालत बुरी सी हो गई थी. उनके मन को शांति तब मिली जब श्री कृष्ण महाभारत युद्ध के पश्चात माँ यशोदा से मिले.


धन्य थी माँ यशोदा और नंद बाबा का तप जो ठाकुर जी सारी दुनिया का पालन करते हैं, उन्होंने भगवान श्री कृष्ण के पालन- पोषण का अवसर मिला.

सत्य कहते हैं, नंद घर आनंद भयो, हाथी- घोड़ा पाल की, जय कन्हैया लाल की