Precious words of Baba Umakant Ji Maharaj for the officers and employees | Baba Umakant Ji Maharaj, Ujjain, Madhya Pradesh
जनता को अपना बच्चा मानकर सेवा (सर्विस) करें। ऐसा भाव रखें जैसे पिता अपने बच्चे का पालन पोषण, शिक्षा दीक्षा व उनके उत्तम भविष्य के लिए करता है। रिश्वतखोरी से हमेशा बचे, दिल दुखाकर लाया हुआ धन फलदाई नहीं होता है। गृहस्थ जीवन में गृह कलह, रोग, मुकदमेबाजी, चारित्रिक पतन, दहेज व तलाक, खून कतल जैसे मुकदमे में खर्च हो जाता है, ये गलत तरीके से लाया धन जहाँ भी लगता है नाश करता है। सेवाकाल के मिले कार्य को यथा सम्भव तुरन्त निपटा दिया करें। आप लोग अपने प्रारब्ध, भाग्य, बाहुबल और प्रभु पर पूरा विश्वास करो। अपना दिल-दिमाग लगा करके अपने विभाग को आगे बढ़ाओ।
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