परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने दिनांक 9 सितम्बर 2023 को सायं 7 बजे बाबा जयगुरुदेव आश्रम, ओसियां रोड, दईजर, जोधपुर, राजस्थान में सत्संग सुनाते हुए कहा की यदि माया की छाया में प्रभु को भूले रहोगे तो यह सबसे बड़ी भूल होगी ।
Most revered Baba Umakant Ji Maharaj, while delivering a satsang on 9th September 2023 at 7 pm at Baba Jaigurudev Ashram, Osian Road, Daijar, Jodhpur, Rajasthan, said that if you forget God under the shadow of Maya, it will be the biggest mistake.
गुरु महाराज की दया मेहर हुई कि आज हम सबको साथ बैठ करके ध्यान-भजन का अवसर मिला। ध्यान-भजन आप सब लोग करते रहते होंगे और अगर नहीं करते हैं तो यही सबसे बड़ा भूल-भ्रम है, अपने जीवन को धोखे में डाले हुए हो। माया की छाया में फंसे रहते हो, उससे निकलने की कोशिश नहीं कर रहे हो। इसलिए जो नहीं करते हैं उनको भी ध्यान-भजन करने की आवश्यकता है।
Due to the mercy of Guru Maharaj, today we all got the opportunity to sit together and meditate. All of you must be doing meditation and bhajan and if you are not doing it then this is the biggest mistake, you are deceiving your life. You remain trapped in the shadow of Maya, not trying to get out of it. Therefore, even those who do not do so need to meditate.
जीवन का एक-एक क्षण निकलता चला जा रहा है और जो समय निकल जाएगा वो वापस नहीं आएगा। कुछ लोग ऐसे भी हो जो ध्यान-भजन के लिए बैठते भी नहीं हो, याद तो करते हो गुरु को लेकिन ऐसे समय में याद करते हो जब कोई मतलब पड़ता है, मुसीबत आती है, तकलीफ-परेशानी आती है।
Every moment of life is passing by and the time that passes will never come back. There are some people who do not even sit for meditation, they remember their Guru but they remember them at such a time when there is some need, trouble comes, trouble or problem comes.
उस समय दिन-रात याद करते रहते हो लेकिन अगर बराबर उनकी याद आती रहे तो बहुत सी तकलीफें हैं जो कर्मों के अनुसार आती है वह अपने आप कट जाएगी। लेकिन जब उनको भूल जाते हो, तब फँस जाते हो। जिसके पीछे दौड़ रहे हो वह माया नहीं, माया की छाया ह। माया का असली रूप यहां है ही नहीं, उनका तो बस बाजार लगा हुआ है। जैसे राजा द्वारा, सेठ द्वारा बाजार लगवाया जाता है उसी तरह से आपके लिए माया का बाजार लगा दिया।
At that time, you keep remembering him day and night, but if you keep remembering him regularly, then many troubles which come as per the deeds will automatically go away. But when you forget them, you get trapped. The person you are running after is not Maya, but Maya s shadow. The real form of Maya does not exist here, it is just a market for her. Just as a market is set up by a king or a merchant, in the same way a market of Maya has been set up for you.
अब इसको अगर समझ जाओ कि हम बाजार का उपयोग करलें, जरूरत की चीज ले लें और अपना काम चला लें लेकिन प्रभु को ना भूलें तब यह आपकी समझ और अच्छी सोच होगी। अगर उस प्रभु को भूल जाओगे तो यह अपने जीवन के साथ धोखा होगा जिसके अधीन माया भी है, काल भी है, ब्रह्म-पारब्रह्म के जीव भी, सब उसके अधीन है। अभी आपने ध्यान-भजन किया। पूछा जाए कि कुछ दिखाई सुनाई पड़ा ? कहोगे नहीं। थोड़ी बहुत शांति मिली ? कोई कहेगा मिली।
Now if you understand that we should use the market, buy what we need and go about our business but do not forget God, then this will be your understanding and good thinking. If you forget that Lord, it will be a betrayal of your life, under whom even Maya, time, even the living beings of Brahma-ParBrahm, everything is under him. You just meditated. Ask whether anything was seen or heard? You won t say. Did you get some peace? Some would say found.
थोड़ा बहुत मन जिनका रुका, कहोगे अच्छा लगा और मन जिनका बिल्कुल नहीं रुका वह कुछ बोलोगे ही नहीं। कारण, आप गुरु के वचनों को भूल जाते हो। गुरु महाराज ने सतसंग सुनाने में कोई कसर नहीं रखी, कोई पक्षपात नहीं किया। 1952 से सतसंग सुनाना शुरू किया और 2012 तक बराबर सतसंग सुनाते रहे, उनकी हर बात में कुछ ना कुछ शिक्षा रहती थी। यह भूल-भ्रम का देश है लेकिन असली चीज को जब आप भूल जाओगे तो कैसे काम चलेगा? इसलिए जो जरूरत की चीज होती है वह याद रखी जाती है। जैसे कमरे का ताला खोलने की जरूरत पड़ती है तो चाबी को याद करके जेब में या बैग में रखते हो जिससे तुरंत निकाल करके अपना घर खोल लेते हो।
Those whose mind stopped a little, will say that they liked it, and those whose mind did not stop at all, will not say anything at all. Because, you forget the words of the Guru. Guru Maharaj left no stone unturned in delivering the satsang and showed no favoritism. Started giving satsang from 1952 and continued giving satsang regularly till 2012, there was some education in everything he said. This is a country of confusion But how will it work when you forget the real thing? Therefore, whatever is needed is remembered. For example, when there is a need to open the lock of a room, you remember the key and keep it in your pocket or bag from which you can immediately take it out and open your house.
जैसे पानी पेशाब के लिए जाना है, नहाना है, खाना है, दुकान खोलना है, दफ्तर में जाना है, काम पर जाना है, खेती करने के लिए जाना है सब आपको याद रहता है, ऐसी जरूरी बातें जिनको आप जीने-कमाने के लिए याद रखते हो, ऐसे ही गुरु के वचनों को भी याद रखना चाहिए।
Like you have to go to urinate, take bath, eat, open a shop, go to office, go to work, go to do farming, you remember all such important things which you have to do to survive and earn. You remember, similarly the words of the Guru should also be remembered.
गुरु महाराज ने कहा “जब गुरु के पास आओ तो गुरु का ही सब कुछ समझो, अपने को भूल जाओ, मान सम्मान को, अहंकार को, अपनी चीजों को भूल जाओ और बातों को सुनो, समझो और जो बताया जाए उसको करो।” यह चीज नहीं हो पाती है।
Guru Maharaj said, “When you come to the Guru, understand everything of the Guru, forget yourself, forget your honor, pride, ego, your things and listen to the things, understand them and do whatever you are told.” This thing cannot happen.
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