जय गुरु देव
परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 24 सितम्बर 2023 , रविवार, सुबह 10 बजे, बावल (हरियाणा) में सत्संग के माध्यम से बताया कि
सनातन धर्म क्या है और सनातन धर्म का नाम हिंदू धर्म कैसे पड़ा?
सनातन धर्म क्या है?
अब सनातन धर्म है क्या ये मैं आपको बताऊंगा। सनातन कौन है? जो कभी खतम होने वाला नहीं है तो खतम होने वाला कौन नहीं है? वो प्रभु है, वो परमात्मा है, कभी खतम नहीं होता है, वो अविनाशी है, कभी भी उसका नाश नहीं होता, जिस जगह पर रहते हैं वो उस जगह का नाश नहीं होता। जहाँ पर उनके लोग हैं, जैसे आप का ये समुदाय है सतसंगियों का, आप लोग यहाँ पर हो, ऐसे ही उनके भी वहां पर लोग है, वो कभी खतम नहीं होते है, वो है सनातन, उन्हीं का नाम है सनातन।
तो उन्होंने जो धर्म चलाया वो है सनातन धर्म। तो उन्होंने क्या बताया ? कहा भाई एक बार तुमको हम मौका देंगे, तुम्हारी जीवात्मा को हम निकालने का, पहुंचाने का अपने पास भेजेंगे आदमी को, जो जाएगा, तुमको बताएगा समझाएगा और दुनिया की तरफ से जिसमें तुम फंसे हुए हो उधर से तुम को हटा करके, निकाल करके और रास्ता बताएगा, उस रास्ते पर चला करके और मेरे पास लाएगा।
एक बार मौका देते हैं, मौका मिलता है, लेकिन इस मौके को लोग समझ नहीं पा रहे हैं, क्यों? यही कारण है कि समाज ऐसा हो रहा है। गांव-घर जहां जो रहता है उसी वातावरण में रहता है तो वैसा ही ढल जाता है, जल्दी ये बात उसको भाती नहीं है। अब बहुत दिनों से जो चीज चली आ रही है, उसी के पीछे मुड़ जाता है। क्यों? क्योंकि देखो ये संतमत तो ये बाद में आया, लेकिन ये जो सनातन धर्म को लोगों ने इसका प्रचार किया वह दूसरे रूप में किया। मनु ने भी किया और आप ये समझो व्यास ऋषि हुए उन्होंने किया।
देखो पहले तो केवल योग साधना ही थी, लोग आंखों को बंद करके ध्यान लगाते ही थे, केवल एक यही प्रक्रिया थी, बाकी ये सारी प्रक्रियाएं व्यास के समय से शुरु हुई। उन्होंने मूर्तियों का निर्माण किया। किस लिए कि ये सनातन धर्म ये जो मनुष्य का वास्तव में कर्तव्य है ये खत्म ना हो जाए, इंसानियत खत्म ना हो जाए। इंसान इंसान के खून का प्यासा ना हो जाए, इंसान प्रकृति के भगवान के नियम के खिलाफ काम न करने लग जाए और प्रकृति लोगों को सजा न देने लग जाए।
इसलिए उन्होंने मूर्तियों की स्थापना किया। मूर्तियों की आंखें बड़ी-बड़ी बनाई कि यहां पर आएंगे लोग और आंखों में आंखें डाल करके बैठकर के साधन करेंगे। इस समय तो लोग खाने-पीने और मौज मस्ती में ही लगे हुए हैं, किसी को याद भी नहीं है कि भगवान को भी याद करना चाहिए। कुछ भी करो, कोई भी आप ये समझो कि शरीर से उसको याद करने का तरीका तो अपनाओ।
लेकिन लोगों की बुद्धि खराब हो रही है। खान-पान खराब हो गया, चरित्र खराब हो गया कि जिसकी वजह से कर्म उनके सिर पर सवार हो गए और कर नहीं पा रहे हैं। लेकिन पहले के समय में निश्चित रूप से सुबह शाम लोग भगवान को याद करने के लिए समय निकालते थे। ज्यादातर पहले देखो गांव के बाहर ही लोग मंदिर बनाते थे जहां एकांत रहता था। और वहां मंदिरों में लोग जाते थे और वहां ध्यान साधना करते थे।
धीरे-धीरे ये बदलता चला गया फिर उनकी पूजा पाठ का नियम हो गया कि इन मूर्तियों को तुम कुछ खिलाओ ला करके, बना करके। हालांकि मूर्तियां कुछ खाती हैं? कुछ नहीं खाती। उनको तो दिखा के लोग वापस ले जाते हैं वो तो कुछ चतुर चंट लोग इस तरह के आ गए कि चलो माल बना-बना के लायेंगे, खाने को मिलेगा। फूल पत्ती ये वो, और ये सब तमाम प्रक्रियाएं जो आप भी कुछ लोग करते हो इसमें लोग फंस गए और असली चीज को लोगों ने छोड़ दिया। इसीलिए देखो दुख झेल रहे हैं।
इसलिए देखो प्रकृति के, भगवान के नियम के खिलाफ काम कर रहे हैं। ना समय पर जाड़ा, ना समय पर गर्मी, ना समय पर बरसात हो रही है। लोग दुखी हैं और शरीर से भी लोग दुखी हैं। तमाम रोग हो गया, तरह-तरह के रोग हो गए। बुड्ढों को तो छोड़ो, जवान लड़कों में तमाम तरह के रोग पैदा हो गए। मुख्य कारण यही है जो धर्म था मानव धर्म, कैसे क्या शरीर का धर्म बनता है, इसको लोग गए भूल। आपको बताना चाहूंगा की ये तो बाद में शुरू हुआ।
पहले केवल "एके धर्म एक व्रतनेमा" एक धर्म ये था, एक व्रत ये था लोगों का, क्या ? कि मानव जीवन को सफल बनाना है। और इसका उपदेश भी हुआ करता था। लोग समझाते भी रहते थे लोगों को। क्या समझाते रहते थे? कि देखो भाई मनुष्य शरीर ये जो तुमको मिला है दोबारा फिर नहीं मिलेगा। हमारे गुरु महाराज देखो बराबर कहते रहे कि तुमको ये दुबारा मनुष्य शरीर नहीं मिलेगा। और भी महात्मा संत यही कह करके गए "कोटि जन्म जब भटका खाया, तब यह नर तन दुर्लभ पाया।" करोड़ों जन्मों में भटकने के बाद तब ये मनुष्य शरीर मिलता है।
सनातन धर्म का नाम हिंदू धर्म कैसे पड़ा?
सनातन धर्म को हिन्दू धर्म भी कहा गया। अब ये नाम कैसे पड़ा ये भी बता दे आपको। सिंधु घाटी की सभ्यता बच्चों को पढ़ाई जाती है इतिहास में। उधर से ईरानी और यहूदी इस भारत देश में आये थे, तो उनकी भाषा में स शब्द नहीं है। तब वो स की जगह ह कहने लग गए। जैसे कुछ अपने प्रदेश ऐसे हैं, आप ये समझो जिला ऐसा है प्रदेश में जहां हिरण्यकश्यप राज करता था, वहां रा लोग नहीं बोलते हैं, तो ऐसे ही आप ये समझो कि वहां की वैसी भाषा हो गयी। भाषा बदल जाती है, 10 - 15 किलोमीटर पर कुछ न कुछ भाषा बदल जाती है आदमी की। ऐसे वो लोग इसको हिन्दू धर्म कहने लग गए। तो हिन्दू का मतलब ये नहीं है कि हिन्दू का जो कर्तव्य है उसको छोड़ दे वो।
अधिक जानकारी के लिए पूरा सत्संग सुने:-
https://www.youtube.com/live/_X_ZfWr-Q-A?si=b_Qi9jkfu3PVEulD
Jai Guru dev
Most revered Baba Umakant Ji Maharaj told through satsang on 24 September 2023, Sunday, at 10 am, in Bawal (Haryana) that
What is Sanatan Dharma and how did Sanatan Dharma get the name Hinduism?
what is Sanatan religion?
Now I will tell you whether there is Sanatan Dharma. Who is Sanatan? If something is never going to end then who is not going to end? He is God, He is God, He never ends, He is indestructible, He is never destroyed, The place where He lives does not get destroyed. Where they have their people, just like you have this community of satsangis, you people are here, similarly they also have their people there, they never end, they are Sanatan, their name is Sanatan.
So the religion he practiced is Sanatan Dharma. So what did he tell? Said brother, we will give you one chance, we will send a person to us to take out your soul, who will go, tell you, explain and remove you from the world in which you are trapped, and He will show me the way, guide me on that path and bring me to him.
Once given a chance, one gets the opportunity, but people are not able to understand this opportunity, why? This is why society is becoming like this. Whoever lives in a village or house, if he lives in the same environment, he becomes like that, but he does not like this very quickly. Now he turns back to what has been going on for a long time. Why? Because see, this Santmat came later, but the people who propagated Sanatan Dharma did it in a different form. Manu also did it and you understand that being Vyas Rishi, he did it.
Look, earlier there was only Yoga practice, people used to meditate with their eyes closed, this was the only process, rest of these processes started from the time of Vyasa. He created statues. Why should this Sanatan Dharma, which is actually the duty of man, not come to an end, humanity should not come to an end? Man should not become thirsty for human blood, man should not start working against nature s law of God and nature should not start punishing people.
Therefore he established statues. The eyes of the idols were made big so that people would come here and sit with their eyes looking into their eyes. At this time, people are busy in eating, drinking and having fun, no one even remembers that they should also remember God. Whatever you do, whoever you do, make sure that you adopt a way of remembering it through your body.
But people s intelligence is deteriorating. The food and drink got spoiled, the character got spoiled due to which the karma got on their head and they were unable to do anything. But in earlier times, people definitely took out time to remember God in the morning and evening. Earlier, mostly people used to build temples outside the village where there was solitude. And people used to go to temples and meditate there.
Gradually this changed and then it became the rule of their worship that you should bring something to feed these idols, after making them. Do statues eat anything though? Doesn t eat anything. People take them back after showing them, but some clever fools have come up with such a thing that they will bring the goods ready-made and they will get to eat. Flowers, leaves, this, and all these processes which some people do, people got trapped in this and people left the real thing. That s why they are suffering.
So see, you are working against the law of God, of nature. Neither is it winter on time, nor is it summer on time, nor is it raining on time. People are sad and people are sad physically too. Many diseases occurred, various types of diseases occurred. Leave aside the old people, young boys developed all kinds of diseases. The main reason is that people have forgotten the religion that was human religion, how it becomes the religion of the body. I would like to tell you that this started later.
Earlier there was only “Ek Dharma Ek Vratnema”, this was one religion, this was one fast of the people, what? To make human life successful. And this also used to be preached. People also kept explaining to people. What were you explaining? Look brother, this human body that you have got, you will not get it again. See, our Guru Maharaj kept saying that you will not get this human body again. Another Mahatma saint left saying the same thing, "After spending millions of lives wandering, I found this male body rare." After wandering in crores of births, we get this human body.
How did Sanatan Dharma get the name Hinduism?
Sanatan Dharma was also called Hindu religion. Now let us also tell you how this name came to be. Indus Valley Civilization is taught to children in history. From there, Iranians and Jews came to this country of India, so there is no word s in their language. Then he started saying H instead of S . For example, some of our states are like this, you understand that the district is like this, in the state where Hiranyakashyap ruled, people do not speak Ra , then just understand that the language there has become like that. Language changes, every 10-15 kilometers a person s language changes to some extent. In this way, they started calling it Hindu religion. So being a Hindu does not mean that one should give up the duty of a Hindu.
|