Precious words of Baba Umakant Ji Maharaj for religious teachers, pundits, mullahs, priests, abbots and mahants | Baba Umakant Ji Maharaj Ujjain Madhya Pradesh
धर्मगुरु,पंडित, मुल्ला, पुजारी, मठाधीश, महंतों से यह कहना है कि इस समय कलयुग में जड़ माया (धन - दौलत), चेतन माया (औरत) का बड़ा जोर है। गृहस्थ का अन्न खाने, उनका दान दिया हुआ धन उपयोग करने, दाताओं की भलाई के लिए सेवा-भजन न करने व कराने से दोनों मायाओं का जोर तेज हो जाता है, कारागार व नर्क का दरवाजा खुल जाता है इसलिए आप बुराइयों से बचने के लिए मौत और समरथ गुरु के वचन को हमेशा याद रखो। जो स्थान आपको मिला है, उसकी गरिमा को बनाए रखो। गृहस्थ का खाया हुआ नमक अदा करो उनके बीच जा करके उनका खान - पान, चाल - चलन, विचार, व्यवहार सही रखने का ईश्वरवादी, खुदा परस्त बनने का पाठ पढ़ाएं और इस मानव शरीर से सच्ची पूजा - इबादत कर के अंतर में जो देवी-देवताओं का दर्शन, खुदा का दीदार होता है उसको करिए और लोगों को कराइये और अगर आपको तरीका नहीं मालूम है तो किसी जानकार के पास उनको जाने की प्रेरणा दीजिए।
याद रहे धृतराष्ट्र को 106 जन्म के पीछे के बुरे कर्म के कारण अंधा होना पड़ा था। चूक जाने पर आप को भी कहीं कर्मों की सजा न मिल जाए।
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