Precious words for the students of Baba Umakant Ji Maharaj | Baba Umakant Ji Maharaj, Ujjain, Madhya Pradesh
विद्यार्थियों ! बुरी सोहबत से बचें। किसी के कहने या देखा-देखी में नशे का सेवन तथा देशद्रोही काम कभी भी नहीं करें, शाकाहारी और चरित्रवान रहें, माता-पिता की सेवा करें, गुरुजन व बूढ़े बुजुर्ग का सम्मान करें, मेहनत से पढ़ाई करें, ऊँचे विचार और ऊँची सोच रखें, तरक्की करने के लिए हमेशा अपने बड़ों के मेहनत तथा उनके चरित्र का अनुकरण करें। हड़ताल, तोड़फोड़, धरना, घेराव से किसी भी समस्या का समाधान होने वाला नहीं है, इसे भूलकर न करें, इसके नुकसान का खामियाजा अपने को ही भोगना पड़ता है इसलिए किसी के भी उकसावे में आकर ऐसा काम न करें। हिम्मत रखें कभी भी निराश न हों, कम खाना, कम बोलना, कम सोना, बर्दाश्त करना सदैव लाभकारी तो रहता ही है विकास का भी पथ प्रशस्त करता है।
माता-पिता बच्चों को शुरू से ही शिक्षा के साथ हुनर भी सिखायें। कामयाबी तब नहीं मिलती जब जानकारी न रहे। सीखकर व्यापार करें, कारखाना लगाए तो कामयाब हो जाते हैं। तब बच्चे नौकरी के चक्कर में नहीं भटकेंगे, अपना खोल लेंगे। पहली दूसरी तीसरी पांचवी दर्जा से ही बच्चों को हुनर सिखाया जाए तो विदेशियों को बुलाकर व्यापार कारखाने लगाने आदि की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार प्रयास कर रही लेकिन थोड़ा और करे तो सोने में सुगंध जैसा हो जाएगा।
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