जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! शिव नेत्र किसे कहते हैं...?

Question:- Swami ji ! Who is called Shiv Netra...?...?

उत्तर - जीवात्मा की आंख को शिव नेत्र कहते हैं । इसे तीसरा नेत्र, दिव्य नेत्र, (Third Eye) भी कहा जाता है । इस शरीर में जीवात्मा दोनों आंखों के मध्य भाग में ऊपर की तरफ बैठी है । उसी की रोशनी दोनों आंखों में आती है । जिससे हमें दिखांई पड़ता है । जब दोनों आंखों को बन्द करके अन्दर की एक आंख खोली जाती है | तो उसी को शिव नेत्र या दिव्य चक्षु कहते हैं। यह शिव नेत्र सभी जीवों में है एक छोटे से छोटे कीड़े में भी है मगर बिना उसके जाने मनुष्य अज्ञान में इस दुनिया में भटकता है । मनुष्य शरीर में ही जीवात्मा का नेत्र साधन के द्वारा खोला जा सकता है अन्य शरीरों में नहीं । सन्त सतगुरू जिनका शिव नेत्र खुला हेता है वही इन्सानों की तीसरी आंख खोल सकते हैं । शिव नेत्र खुलने पर परमात्मा चौबीस घण्टे साकार है । वह परमात्मा न कभी निराकर था और न अब है । निराकार उनके लिए है जिनकी जीवात्मा की आंखें बन्द है ।

शिव नेत्र खुलने पर कामनाएं समाप्त हों जाती हैं, काम क्रोध लोभ मोह अहंकार यें पौँचों भ्रूत मूर्छित होने लगते हैं | आज भी शिव नेत्र है और सबके पास है, चाहे इन्सान हो पशु पक्षी हो या अन्य कोई जीव हो |

सन्तों ने तीसरा नेत्र खोलने का बड़ा सुगंम मार्ग बताया है । आज भी इस घोर कलयुग में लोगों का तीसरा नेत्र खुल सकता है । जब जीवात्मा की आँख यानी दिव्य आँख खुलती है तो देवी देवता स्वर्ग वैकुण्ठ सब कुछ दिखाई देता है । जीवात्मा अन्तर में घाट पर बैठी है और ऊपर जाने का रास्ता अन्तर में ही है | बाहर से दिखाई देने वाला आसमान इन दोनों आंखों तक ही है उसके ऊपर नहीं । अन्तर का आसमान अलग है ओर वहां कभी अन्धेरा होता होता ही नहीं | वहाँ सदा प्रकाश छाया रहता है |