जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! मनुष्य शरीर दुर्लभ क्यों कहा गया है ?

Question:- Swami ji ! Why is the human body said to be rare?...?

उत्तर - इस सृष्टि में जितने भी जीव चाहे वो पिण्ड से पैदा होते हों अथवा अण्डे से उन सबसे अधिक मनुष्य का जनम उत्तम है | इस, सृष्टि को बनाने वाला और सारी सृष्टि मनुष्य के अन्दर है देवताओं के शरीर से भी उत्तम शरीर मनुष्य का बनाया गया है | इन्सान को परमात्मा ने अपनी शक्ल पर बनाया है और इसी चोले में उसे परमात्मा से मिलने का अधिकार प्राप्त है।

सृष्टि का सारा रुहानी राज सिर में आंखों से ऊपर के भाग में छिपा हुआ है । परमात्मा से मिलने का रास्ता भी मनुष्य के अन्दर है और इसी रास्ता का जिक्र सभी धर्मों की पुस्तकों में किया गया है लेकिन धर्मों के मानने वालों को इस चीज की जानकारी नहीं है । वे केवल बाहरी कर्मकाण्ड, रस्मों रिवाज, पोथियों को पढ़ना, पूजा, पुण्य दान, पाक जीवन बिताना, सामाजिक सेवा करना आदि से ही संतुष्ट है और इसके द्वारा अपने को पुण्यात्मा मानते हैं और इसके फलस्वरूप मौत के बाद मुक्ति की आशा रखते हैं । इन सबसे शुभ कर्म का लाभ तो मिल सकता है लेकिन मुक्ति मोक्ष का मिलना कदाए़ि संभव नहीं । मुक्ति और मोक्ष ईश्वर के भी आगे रूहानी मण्डलों पर पहुंचने के बाद प्राप्त होती है । इसका भेद केवल संत सतगुरु ही बताते हैं और रुहानी मण्डलों का सफर जीव के साथ-साथ चलकर तय कराते हैं | यह जीते जी मरने की साधना है फिर उसके बाद मौत का खौफ समाप्त हो जाता है ।