उत्तर:- इन्सान शरीर सृष्टि की सबसे ऊंची रचना है। चौरासी लाख योनियों में भटकती हुई यह जीवात्मा अन्त में गाय और बैल की योनि में आती है। मरने के बाद गाय को मानव शरीर लड़की का और बैल को लड़के का शरीर प्राप्त होता है इस मनुष्य शरीर को हरि मन्दिर कहा गया है और इसमें परमात्मा निवास करता है। शरीर में आत्मा के साथ ही परमात्मा की भी बैठक है। बीच में केवल पर्दा कर्मों का है। अगर कर्म धुल जाय साफ हो जाय तो परमात्मा सामने दिखाई देता है।
आध्यात्मिक साधना मनुष्य शरीर में ही की जा सकती है क्योंकि इसमें पांचों तत्व पूरे हैं यानी जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश | अगर एक तत्व की भी कमी हो जाय तो इन्सान पागल हो जाता है। हम मड़धार में बैठे हैं और अगर चाहें तो ऊपर चले जायं॑ और हमेशा के लिए जन्म मरण का चक्कर समाप्त हो जाय। अगर यह काम नहीं किया और शरीर छूट गया तो जीवात्मा नरकों और चौरासी लाख योनियों में चली जाती है जहां नाना प्रकार के कष्ट उसे भोगने पड़ते हैं । मनुष्य शरीर इसलिए अनमोल कहा गया है क्योंकि यह बार-बार नहीं मिलता |
Question:- Swami ji! Why has the human body been called precious?
Answer:- Human body is the highest creation of the universe. Wandering through eighty-four lakh births, this soul finally comes into the birth of a cow or a bull. After death, the cow gets the human body of a girl and the bull gets the body of a boy. This human body is called Hari Mandir and God resides in it. There is a meeting of God along with the soul in the body. In between there is only the curtain of deeds. If the karma is washed away and becomes clear then God becomes visible.
Spiritual practice can be done only in the human body because it contains all the five elements i.e. water, earth, fire, air and sky. If even one element is lacking then the person goes mad. We are sitting in the muddhar and if we wish, we can go up and the cycle of birth and death will end forever. If this does not work and the body leaves the body, then the soul goes to hell and eighty-four lakh births where it has to suffer various types of sufferings. The human body has been called precious because it is not found again and again. |