उत्तर:- सुरत (जीवात्मा) चेतन है और शरीर जड़ है। सुरत इस मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के बीच में बैठी है। इधर जड़ में चेतन छिपा है और उधर आंखों के ऊपर चेतन ही चेतन है। जब चेतन का जलवा देखने को मिलता है तब पता चलता है चेतनता है क्या चेतन को जड़ से जब निकाला जाता है तो उसको जीते जी मरना कहते हैं। एक बार सुरत को जड़ शरीर से निकाल कर अलग करें तब पता चलता है कि शरीर है क्या? जब तक सुरत अपने प्रकाश को जड़ में फैलाये रहेगी तब तक न वह अपने को समझेगी और न शरीर को ही समझ पायेगी । इसको वह केंचुल की तरह छोड़ देती है |
सुरत का जरा सा सिमटाव हुआ कि इधर बेहोशी होने लगती है और उधर खिंचाव हो गया । शरीर से नाम के द्वारा ही सुरत निकलती है और फिर लिंग शरीर धारण करती है। ऊपर में प्रकाश है अन्धेरा बिल्कुल नहीं है। लिंग शरीर में देवती देवता रहते हैं । सुरत को होश आ जाती है और देखती है कि वह चेतन है जड़ नहीं है। जब चाहे वह शरीर से निकल गई और फिर शरीर में वापस आ गई। इस प्रकार सुरत जाग जाती है।
Question:- Swami ji! How will Surat be awakened?
Answer:- Surat (soul) is conscious and body is inanimate. Surat is sitting between the two eyes in this human body. Here the conscious is hidden in the roots and on the other side the conscious is visible above the eyes. When the power of consciousness is seen, then it is known whether consciousness is there or not. When consciousness is taken out of its roots, it is said to die while it is still alive. Once we separate the Surat from the inanimate body, then we will know what the body is? As long as the beauty continues to spread its light in the roots, it will neither understand itself nor the body. She leaves it like filth.
There was a slight narrowing of the face that on one side I started feeling faint and on the other side there was a strain. Surat emerges from the body through name and then it assumes the linga body. There is light above, there is no darkness at all. Goddesses and gods reside in the penis body. Surat regains consciousness and sees that she is conscious and not inanimate. Whenever she wanted, she left the body and then came back to the body. In this way Surat wakes up. |