उत्तर - जब तुम दृढ़ता के साथ निश्चय करके भजन में बैठोगे और एकाग्रता जब आएगी तब तमाम आवाजें सुनाई पड़ेंगी उनमें एक आवाज घन्टा और शर्ख की भी होगी । घन्टे की आवाज निरंजन भगवान के स्थान सहसदल-कवल से आती है । तुम्हें करना ये है कि इस आवाज को छांटना है और फिर पकड़ना है । बड़ी मधुर आवाज है । इसे सुनकर जीवात्मा में एक प्रकार का नशा होने लगता है, एकाग्रता आने लगती है. । जब एकाग्रता पूरी होगी तो ये आवाज जीवात्मा को चुम्बक की तरह खींच लेगी और निरंजन भगवान (ईश्वर, खुदा, GOD) के सामने ले जाकर खड़ा कर देगी फिर वहां जाकर परमात्मा का साक्षात्मकार होता है |
इसी आवाज को “नाम भी कहते हैं, “शब्द-धुन "भी कहते हैं और ईसाई इसे Word कहते हैं । जीवात्मा जब सहसदल कवल में पहुंचकर ईश्वर का दर्शन करती है तो इसमें भी वही शक्ति आ जाती है जो उनमें है | शब्द में लय होने के बांद अपनी दोनों आंखों के पीछे बैठी जीवात्मा अपनी खोई शक्ति. को पाकर परम प्रकाशवान हो जाती है, सर्व व्यापी हो जाती है | |