प्रश्न:- स्वामी जी ! मानव जीवन को अनमोल क्यों कहा गया है ?
Question:- Swami ji! Why is human life called precious?
उत्तर – मनुष्य सृष्टि की एक अद्भुत रचना है । वह अपने साथ केवल अपने पिछले इतिहास को ही नहीं लिए चलता बल्कि सारी सृष्टि, दृश्य तथा सबका सृष्टिकर्ता उसके अन्दर है । साथ ही उसे अपने अन्दर की सभी वस्तुओं को देखने तथा अपने सृष्टिकर्ता के साथ एकात्कार होने की शक्ति प्राप्त है ।
Man is a wonderful creation of the universe. He not only carries with him his past history but the entire creation, scene and creator of everything is within him. At the same time he has the power to see all things within him and to become one with his Creator.
खोज हमें अपने अन्दर ही करनी है और इसमें खर्च भी नहीं करना पड़ता। सभी चीजें मन के पर्दे के पीछे हैं । जब मन शान्त कर लिया जाता है तब उसके पर्दे के पीछे जो कुछ भी है वह दिखलाई देने लगता है । मन जो सदा बाहर भटकता रहता है और सोते जागते कभी भी अपने केन्द्र तीसरे तिल में नहीं टिकता, उसे अपने केन्द्र स्थान में टिकने का अभ्यास कराना होगा ।
We have to do the search within ourselves and it doesn't even have to cost money. All things are behind the curtain of the mind. When the mind is calmed then whatever is behind its curtain becomes visible. The mind which always keeps wandering outside and never settles in its center in the third part while sleeping and waking, has to be given the practice of remaining in its center place.
फिर उसे बाहर दौड़ने के बदले भीतर तीसरे तिल में देखने की आदत डालनी होगी । यह आसान काम नहीं है । लेकिन जैसे अन्य आदतें अयास तथा सच्ची लगन से बनाई जाती हैं उसी प्रकार मन को भी इस नये पथ पर प्रेम विश्वास तथा सच्ची लगन के साथ चलाना है । यह मार्ग अयास का है। इसमें मन के साथ लड़ाई करनी पड़ती है।
Then instead of running outside, he will have to develop the habit of looking inside at the third mole. This is not an easy task. But just as other habits are formed effortlessly and with true dedication, similarly the mind also has to be led on this new path with love, faith and true dedication. This path is of effort. In this one has to fight with the mind.
धीरे-धीरे लेकिन लगातार कोशिश करने वाला विजयी होता है। मनुष्य शरीर अगर बेकार चला गया और लक्ष्य की प्राप्त नहीं हुई तो जीवात्मा नीचे चौरासी लाख योनियों में उतर जाती है फिर यह मनुष्य शरीर युगों-युग तक नहीं मिलता। इसीलिए इसको अनमोल कहा गया है ।
One who tries slowly but steadily becomes victorious. If the human body becomes useless and the goal is not achieved, then the soul descends into eighty-four lakh species and then this human body is not found again for ages. That is why it has been called priceless. |