उत्तर - सत्संगी को सदा रात दिन, सोते जागते अपने गुरु के प्रति प्रेम ताजा रखना चाहिए । जो वचन सत्संग से सुनाये जाते हैं उसके अनुसार अपना जीवन बिताना हितकर है । जब आत्मा तीसरे तिल में (आखों के ऊपर) अपना बैठक बना लेती है तब वह सदा जागृत अवस्था में रहती है और शरीर के आंखों के नीचे का भाग सोने की स्थिति में रहता है । इसके बावजूद आत्त्मा नीचे आने के बदले सदा ऊपर के मण्डलों में चढ़ाई जारी रखती है । कहने का मतलब यह है कि शरीर का वह भाग जिसमें आत्मा एकाग्र होती है
उस समय क्रियाशील हो जाता है । आत्मा जब आंखों से ऊपर के केन्द्रों में चली जाती है तब निचले चक्र सो जाते हैं । जहां तक आंखों से ऊपर वाले केन्द्रों का सवाल है सारी दुनियां सोई हुई है । सत्संगी को कम खाना चाहिए, गम खाना चाहिए और कम बोलना चाहिए । सदा भजन ध्यान सुमिरन की चिन्ता बनी रहेगी तो साधन के वक्त मन अधिक भागदौड़ नहीं करेगा |
Swami ji! What should be the life of a satsangi after taking Namdaan?
Answer - A satsangi should always keep his love for his Guru fresh day and night, while sleeping and waking up. It is beneficial to live one s life according to the words preached in satsang. When the soul resides in the third mole (above the eyes), it always remains in a state of wakefulness and the part of the body below the eyes remains in a state of sleep. Despite this, instead of coming down, the soul always continues to climb to the upper regions. What is meant to say is that part of the body in which the soul is concentrated.
Becomes active at that time. When the soul goes to the centers above the eyes, the lower chakras go to sleep. As far as the centers above the eyes are concerned the whole world is asleep. A satsangi should eat less, be sad and speak less. If you always remain concerned about bhajan, meditation and remembrance, then your mind will not run around much during meditation. |