जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! वासना के वेग को कैसे रोका जा सकता है ?

Question:- Swami Ji ! vaasana ke veg ko kaise roka ja sakata hai ?...?

उत्तर - जब वासना का वेग आता है तब गुरु याद नहीं आते हैं । गुरु की सेवा हमने लाखों बार की हो और गुरु की मूरत का ध्यान हर रोज करते हो और गुरु से चाहे हमने इतना प्यार किया हो कि हम उनके बगैर दर्शन के रह ही नहीं सकते हो फिर भी जो विकारी अंग! प्रगट हुआ है वह खतम नहीं होता । विकारी अंगों की वजह से हम गुरु को अधूरा समझते हैं ।

गुरु का ध्यान सुमिरन करना तो दूर रहा, उल्टे उन्हें बुरा भला कहने लगते हैं और अन्ततः गुरु का मार्ग भी छोड़ देते हैं । इसलिए जब विकारी अंग इन्द्रियों के जगें तो गुरु के पास जाकर भजन और सेवा में लग जाना चाहिए परदा जो आ गया थां चंचलता बढ़ गई थी, मन, बुद्धि चित्त मलीन हो गए थे वो गुरु की दया से साफ होने लगेंगे ।

Swami ji! How can the speed of lust be stopped?

Answer: When the intensity of lust comes then the Guru is not remembered. Even though we have served the Guru millions of times and meditate on the Guru s idol every day, and even though we have loved the Guru so much that we cannot live without seeing him, still those vicious organs! It has been revealed that it never ends. Because of the disordered organs we consider the Guru incomplete.

Far from remembering the Guru, on the contrary, they start abusing him and ultimately even leave the path of the Guru. Therefore, when the vicious organs of the senses awaken, one should go to the Guru and engage in worship and service. The veil that had come, the restlessness had increased, the mind and intellect had become impure, they would start getting cleansed by the mercy of the Guru.