उत्तर - पहले यह समझ लो कि सन्त सतगुरु कहते किसे हैं । सन्त सतगुरु सर्व शक्तिमान होते हैं और सत्तलोक में बराबर जाते आते रहते हैं । वे ईश्वर, खुदा, ब्रह्म, रब, पार, ब्रह्म, अल्लाह सबके मालिक होते हैं | उनसे बड़ा कोई नहीं । रूहानियत में जाति और कौम का कोई सवाल नहीं । मुसलमान फकीरों ने उस हक को, सत्तनाम को प्राप्त किया। सन्त-सत्तगुरु और फकीर में कोई अन्तर नहीं | यह कोई जरुरी नहीं कि सारी दुनियां में या देश में एक ही गुरु हों ।
एक ही समय में कई गुरु हुए हैं । गुरु नानक और कबीर साहब एक ही समय में हुए थे । इसी प्रकार दादू साहब और गुरु अर्जुन देवी जी भी समकालीन थे | परन्तु सभी समय में इन सन्तों का उपदेश एक ही होता है । सुरत शब्द योग का और पांच नाम का सभी ने वर्णन किया है । पहले के सन्तों ने जीवों पर सस्कार बहुत डाले यही कारण हैं कि लोगों की रुचि सन्तमत में होने लगी है । जिन्हें नामदान मिलता है उनकी दीक्षा का समय निश्चित रहता है |
Swami ji! Can many saints be Satguru at one time?
Answer: First understand who a saint is called Satguru. Saint Satguru is all powerful and keeps coming and going to Satlok regularly. He is Ishwar, Khuda, Brahm, Rab, Paar, Brahm, Allah and is the owner of everything. There is no one greater than him. There is no question of caste and community in spirituality. Muslim fakirs attained that right, Satnaam. There is no difference between a saint-satguru and a fakir. It is not necessary that there should be only one Guru in the whole world or country.
There have been many Gurus at the same time. Guru Nanak and Kabir Saheb were born at the same time. Similarly, Dadu Saheb and Guru Arjun Devi ji were also contemporaries. But the teachings of these saints remain the same at all times. Everyone has described Surat Shabd Yoga and five names. The earlier saints had imparted a lot of values to living beings, this is the reason why people have started getting interested in Santmat. The time of initiation for those who receive Namdaan is fixed. |