जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! भजन में जीवात्मा शरीर से कब अलग होती है ?

Question:- Swami Ji ! Bhajan Mein Jeevaatma Shareer Se Kab Alag Hotee Hai ?...?

उत्तर - भजन करो या ध्यान करो जब मन की एकाग्रता होती है और आत्मा दोनों आंखों के ऊपर तीसरे तिल में पहुँचती है तब इस स्थूल चोले को उतार देती है यानी उस समय वह जड़ शरीर से निकल कर बाहर खड़ी हो जाती है । स्थूल चोले से आजाद हो जाती है | यह ठीक वैसे ही होता है जैसे हम अपना कोट उतार देते हैं सहसदल कंवल के ऊपरी भाग में आत्मा सूक्ष्म चोला भी उतार देती है और त्रिकुटी के ऊपरी भाग में कारण चोले को भी छोड़ देती है ।

जब एक आत्मा स्थूल, लिंग, सूक्ष्म तथा कारण शरीरों में रहेगी जन्म-मरण बराबर होता रहेगा । प्रत्येक मौत के साथ इसका शरीर बदलता है | लेकिन आत्मा अविनाशी है । शरीर का परिवर्तन या विनाश होता है पर आत्मा का नहीं । आत्मा पिछले कर्मों के अनुसार नया जीवंन धारण करती है | कर्म के बगैर काया नहीं होती और काया के बगैर कर्म नहीं होते |

प्रत्येक कर्म जो किया गया है अपना असर मन पर छोड़ गया है । यह अभी हमारी स्मृति में भले ही न हो पर यह कभी भी उपस्थित हो सकता है । बात यह है कि संस्कार मन में बने रहते हैं । अपने समय पर प्रगट होते हैं ।


Swami ji! When does the soul separate from the body in the hymn?

Answer - Do bhajan or meditate, when the mind is concentrated and the soul reaches the third mole above both the eyes, then it takes off this physical garment, that is, at that time that root comes out of the body and stands outside. Becomes free from the physical body. This is exactly the same as when we take off our coat. In the upper part of Sahasadal Kanwal, the soul also takes off the subtle garment and also leaves the causal garment in the upper part of Trikuti.

When a soul resides in physical, sexual, subtle and causal bodies, birth and death will continue to be equal. Its body changes with every death. But the soul is immortal. The body changes or gets destroyed but not the soul. The soul takes on a new life according to its past deeds. There is no body without action and there is no action without body.

Every action that has been done has left its impact on the mind. It may not be in our memory right now but it can be present at any time. The thing is that values ​​remain in the mind. Appear at their own time.