उत्तर - इस आसमान के ऊपर से प्रथम में साधना का प्रारम्भ होता है जहां तारा मण्डल है और वो कभी लोप नहीं होता । यह चंचल मन है जो हिलता रहता है उसे देख नहीं पाता । जीवात्मा अन्दर जाती है और लौट आती है । वहां फाटक है जिसे तोड़ना पड़ता है तब आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है । फाटक के टूटते ही शब्द यानी नाम प्रगट हो जाता है और मधुर-मधुर राग रागनियां सुनाई देने लगती हैं । आत्मा उन्हें सुनकर जाग जाती है होश मे आ जाती है और मन मूर्छित होने लगता है |
अंदर की संगीत को सुनने के बाद यदि किसी को बादशाहत भी मिल जाए तो वह उसे ठोकर मार देता है बादशाहत जड़ है और संगीत चेतन है | जड़ से चेतन का मिलाप कभी नहीं हो सकता | एक बार आत्मा जाग जाय तो काम, क्रोध, लोभ, सो , अधिकार सधी वश में आ जाते हैं लेकिन वह अवस्था अभी तुम प्राप्त नहीं हुई हैं । जब तुम गुरु के नूरानी श्वरूप का दर्शन करोगे और तुम्हारी आत्मा जब उसमें लीन हो जाएगी लव व अवस्था तुम्हें प्राप्त होगी । अभी परिवर्तन की अवस्था है ।
आत्म यु्गों युर्गों से वाहर रहने की आदी है और तुम उसे अन्दर ठहरने पर मजबूर कर रहे हो | अभी तो शरीर के प्रत्येक अंग में आत्मा फैली हुई है । इसका सिमटाव करने में समय लगता है । जब यात्रा का यह भाग तय कर. लिया जाता है तब आगे का रास्ता आसान है | फिर निर्मल आत्मा अन्दर के चुम्वकीय संगीत से आकृष्ट हो जाती है |
Swami ji! During meditation, shining stars appear in the sky and then disappear. Why is this so?
Answer - Sadhana begins in the first place from above this sky where the constellation is and it never disappears. It is the fickle mind that keeps moving and cannot see it. The soul goes inside and returns. There is a gate which has to be broken only then the spiritual journey begins. As soon as the gate breaks, the word i.e. the name becomes visible and melodious melodies start being heard. The soul wakes up after listening to them, comes to consciousness and the mind starts becoming unconscious.
Even if someone gets kingship after listening to the music within, he stumbles upon it. Kingship is inanimate and music is animate. There can never be a union of the conscious with the inanimate. Once the soul awakens, lust, anger, greed, lust and possessiveness come under complete control, but you have not yet achieved that state. When you see the spiritual form of the Guru and your soul gets absorbed in him, you will attain love and state. Right now it is a state of change.
The soul has been accustomed to living outside for ages and you are forcing it to stay inside. Right now the soul is spread in every part of the body. It takes time to resolve this. When completing this part of the journey. When taken then the path ahead is easy. Then the pure soul gets attracted by the magnetic music within. |