जय गुरु देव
समय का जगाया हुआ नाम जयगुरुदेव मुसीबत में बोलने से जान माल की रक्षा होगी ।
परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज से प्रेमियों द्वारा पूछे गए सवाल और उनके जबाव

प्रश्न:- स्वामी जी ! सन्त चमत्कार क्यों नहीं दिखाते ?

Question:- Swami Ji ! Sant Chamatkaar Kyon Nahin Dikhaate ?...?

उत्तर - परमात्मा से मिलने और उसका दर्शन कराने की जो बात करें उसे तुम क्या कम चमत्कार समझते हो ? सन्त सर्व समरथ होते हैं उनसे बड़ा कोई नहीं । ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म सब उनकी मर्जी के अन्दर रहकर काम करते हैं । सन्त अगर अपनी शक्तियों का प्रयोग करने लगे तो सारी दुनिया उनके पीछे दौड़ने लग जाएगी इसलिए करामात दिखाकर वो लोगों को प्रभावित नहीं करते हैं ।

काल के देश में जन्म-मरण के चक्कर से जीवों को छुड़ाकर वापस उन्हें उनके घर सत्त देश अथवा सत्तलोक में पहुंचाना ही संतों का प्रमुख उद्देश्य होता है । जब तक कर्मों के लेन-देन का हिसाब काल भगवान के देश का चुकता नहीं होता तब तक कोई भी जीव उनके दायरे से बाहर नहीं जा सकता । इसीलिए सन्त सेवा कराकर, भजन-ध्यान कराकर, कुछ कर्मों को भुगता कर जीव को बन्धन-मुक्त कर देते हैं। किसी जीव पर यदि वे प्रसन्न हो जाय॑ तो काल भगवान के यहां कर्मों का खाता जो रखा हुआ है उसे वे फाड़ भी देते हैं |

ये काम औतारी शक्तियाँ नहीं कर सकती क्योंकि वे स्वयं कर्म के दायरे में रहती हैं । राम को बालि को मारने का बदला द्वापर में चुकाना पड़ा और बहेलिए ने छिपकर कृष्ण को तीर मारा था और उसी वेदना में उन्होंने शरीर त्याग दिया | जो जिस रूप में कर्म करता है उसको उसी रूप में बदला चुकना पड़ता है | यही यहां का विधान है और सन्त जन साधारणतया उसमें छेड़छाड़ नहीं करते |

Swami ji! Why don t saints show miracles?

Answer: Do you consider the talk of meeting God and having his darshan any less a miracle? Saints are all capable and no one is greater than them. God, Brahm, Parabrahma all work within their will. If a saint starts using his powers then the whole world will start running after him, hence he does not impress people by showing miracles.

The main objective of the saints is to free the living beings from the cycle of birth and death in the land of time and send them back to their home in Sattva Desh or Sattlok. Until the accounts of the transactions of deeds are settled in the land of Kaal God, no living being can go out of his realm. That is why saints liberate the soul from bondage by providing service, by doing hymns and meditation, and by suffering certain karmas. If they become pleased with any living being, they even tear the account of their deeds kept with Lord Kaal.

Incarnate powers cannot do this work because they themselves remain within the realm of karma. Ram had to take revenge for killing Bali in Dwapar and the fowler secretly shot an arrow at Krishna and in that pain he left his body. One has to be repaid in the same form in which he acts. This is the law here and saints generally do not tamper with it.